20 जून से हड़ताल पर जाएंगे नगर निकाय कर्मी

Jitendra Kumar Sinha
0




बिहार के नगर निकायों में काम करने वाले कर्मचारियों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर दिया है। 20 जून से राज्यभर के सभी नगर निकाय कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। रविवार को बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक एटक कार्यालय, केदार भवन में आयोजित की गई, जहां इस सामूहिक निर्णय पर अंतिम मुहर लगाई गई।

नगर निकाय कर्मियों की नाराजगी कई मुद्दों को लेकर है, लेकिन सबसे अहम मांग है – सातवां वेतन पुनरीक्षण। कर्मचारी चाहते हैं कि राज्य के सभी नगर निकायों में सातवां वेतन आयोग लागू हो और इसका सत्यापन जिला स्तर पर सुनिश्चित किया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि जब राज्य के अन्य विभागों में यह वेतनमान लागू हो चुका है, तो नगर निकायों के साथ भेदभाव क्यों?

इसके अतिरिक्त अन्य प्रमुख मांगें में दैनिक वेतनभोगियों को स्थायी करना, वर्षों से सेवा दे रहे अस्थायी कर्मियों को अब तक स्थायीत्व नहीं मिल सका है। एजेंसी कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी देना,  ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही, जो श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है। एसीपी/एमएसीपी पर लगी रोक हटाना,  नगर विकास विभाग द्वारा प्रोन्नति की इन योजनाओं पर रोक लगाई गई है, जिससे कर्मियों में भारी असंतोष है, शामिल है।

संघर्ष मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार उनकी मांगों को लेकर लगातार टालमटोल कर रही है। बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि कई बार ज्ञापन देने और संवाद की कोशिशों के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है। इसी के कारण अब मजबूरन 20 जून से हड़ताल करने का फैसला लिया गया है।

नगर निकाय कर्मियों की हड़ताल का सीधा असर जनता पर पड़ने वाला है। कचरा प्रबंधन, जलापूर्ति, नाली की सफाई, शव वाहन सेवा, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गमन जैसी आवश्यक सेवाएं बाधित होगी। यदि सरकार समय रहते हस्तक्षेप नहीं करती है, तो शहरी व्यवस्था चरमरा सकती है।

मोर्चा ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। कर्मियों का कहना है कि यह सिर्फ वेतन का नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार की लड़ाई है।

नगर निकाय कर्मियों की यह हड़ताल एक बार फिर राज्य सरकार की नीतियों और कर्मचारियों के बीच बढ़ती दूरी को उजागर करती है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो बिहार की शहरी व्यवस्था एक बड़े संकट में घिर सकती है। 



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top