संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठन अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की अध्यक्षता भारत ने जीता

Jitendra Kumar Sinha
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भारत ने एक और बार वैश्विक मंच पर अपनी प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज कराई है। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े प्रतिष्ठित संगठन अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (International Institute of Administrative Sciences - IIAS) की अध्यक्षता भारत को मिल गई है। इस जीत ने न केवल भारत की प्रशासनिक क्षमताओं को मान्यता दिलाई है, बल्कि विश्व मंच पर देश की साख को भी और अधिक मजबूत किया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) एक वैश्विक संगठन है, जो सार्वजनिक प्रशासन, प्रशासनिक सुधारों और नीतिगत निर्माण में अनुसंधान और सहयोग को बढ़ावा देता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में प्रशासनिक दक्षता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को सुदृढ़ करना है। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करता है और विभिन्न देशों के प्रशासनिक तंत्रों को एक मंच पर लाने का कार्य करता है।

इस प्रतिष्ठित पद के लिए भारत की ओर से प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के सचिव वी. श्रीनिवास को उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। श्रीनिवास की व्यापक प्रशासनिक अनुभव, ई-गवर्नेंस में विशेषज्ञता और पारदर्शी प्रणाली लागू करने की क्षमता ने उन्हें एक सशक्त दावेदार बनाया।

इस पद के लिए कुल 141 वोट डाले गए। इनमें से भारत को 87 वोट मिले, जो स्पष्ट बहुमत को दर्शाता हैं। यह जीत न केवल श्रीनिवास की योग्यता की पुष्टि है, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका का प्रतीक भी है।

यह पद भारत को वैश्विक प्रशासनिक नीतियों को आकार देने में अहम भूमिका देगा। भारत की प्रशासनिक नीतियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। भारत विकासशील देशों के मुद्दों को भी मजबूती से रख सकेगा और भारत अपने डिजिटल इंडिया जैसे सफल मॉडल को साझा कर सकता है।

वी. श्रीनिवास भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारी हैं । ई-गवर्नेंस, डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को लेकर कई सफल पहल किया है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली, सार्वजनिक शिकायत निवारण प्रणाली और CPGRAMS जैसे मंचों को सशक्त बनाया है। सुशासन के क्षेत्र में नवाचार के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रशंसा प्राप्त किया है। 

भारत की यह ऐतिहासिक जीत सिर्फ एक प्रशासनिक सफलता नहीं है, बल्कि 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के भारतीय दर्शन का प्रमाण है। यह उस दिशा में एक और मजबूत कदम है जहाँ भारत न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है।



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