ड्रेगन लड़ रहा था परोक्ष युद्ध - भारतीय सेना ने किया धराशायी

Jitendra Kumar Sinha
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भारत द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों पर करारा प्रहार करने के लिए चलाए गए "ऑपरेशन सिंदूर",  विश्व मंच पर भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक चतुराई को बखूबी दर्शाया है। लेकिन अब यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य सफलता नहीं रह गया है।  बल्कि रक्षा मंत्रालय के प्रतिष्ठित भारतीय थिंक टैंक CENJOWS (Centre for Joint Warfare Studies) की हालिया रिपोर्ट ने इस ऑपरेशन के एक और आयाम को उजागर किया है, वह है- “चीन की परोक्ष भागीदारी और पाकिस्तान के साथ उसकी गहरी साजिश।”

सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया गया है कि चीन ने पाकिस्तान को न केवल सैन्य मदद दी, बल्कि उपग्रह निगरानी, रडार तैनाती और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस जैसी तकनीकी सहायता भी मुहैया कराया है। इसका अर्थ साफ है कि चीन का मकसद था पाकिस्तान को युद्ध में रणनीतिक बढ़त दिलाना और भारत को अस्थिर करना।

प्रमुख खुलासा हुआ है कि चीन सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से भारतीय सेना की गतिविधियों पर निगरानी, पाकिस्तानी रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को नए सिरे से तैनात करने में सहायता, भारतीय हवाई हमलों से बचने के लिए रडार कवरेज बढ़ाना, सैन्य लॉजिस्टिक्स और इलेक्ट्रॉनिक जासूसी में प्रत्यक्ष सहयोग। यह सब कुछ एक परोक्ष युद्ध का संकेत देता है, जिसमें चीन अपनी सीमा में रहते हुए पाकिस्तान को युद्ध जिताने की हरसंभव कोशिश कर रहा था।

इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने भारतीय राजधानी दिल्ली पर 'शाहीन' मिसाइल दागी, जिसे भारतीय सेना के S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नष्ट कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, शाहीन मिसाइल नूर खान एयरबेस से दागी गई थी। भारतीय सेना ने मिसाइल लॉन्चिंग साइट को टारगेट कर जवाबी हमला किया था।  S-400 ने इतनी सटीकता से हमला रोका कि मलबा तक जमीन पर नहीं गिरा। यह कार्रवाई दर्शाती है कि भारत न केवल आक्रमण को रोकने में सक्षम है, बल्कि दुश्मन की क्षमताओं को नष्ट करने में भी माहिर है।

CENJOWS की रिपोर्ट बताता है कि चीन का उद्देश्य केवल युद्ध में पाकिस्तान की मदद करना नहीं था। उसका दीर्घकालिक लक्ष्य भारत की आर्थिक और भू-राजनीतिक ताकत को कमजोर करना था। संभावित रणनीतियाँ थी रेयर अर्थ मटेरियल की आपूर्ति में कटौती कर भारत की इलेक्ट्रॉनिक और डिफेंस इंडस्ट्री पर असर डालना। कूटनीतिक रूप से भारत को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की कोशिश था। पाक के साथ मिलकर संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से भारत पर दबाव बनाना था। यह संकेत बेहद खतरनाक हैं, क्योंकि यह दो-स्तरीय युद्ध की ओर इशारा करता हैं सीमाओं पर युद्ध और वैश्विक मंच पर दुष्प्रचार।

CENJOWS के एक और चौंकाने वाले खुलासे के अनुसार, पाकिस्तान ने अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर पर भी हमले की साजिश रची थी। मेजर जनरल कार्तिक शेषाद्रि के अनुसार, 8 मई को पाक ने लंबी दूरी की मिसाइलें दागीं, जिनमें से एक का लक्ष्य स्वर्ण मंदिर था। भारतीय सेना ने पल-70 और आकाश मिसाइल सिस्टम से हमले को विफल किया। ड्रोन हमलों की कोशिश को भी भारतीय राडार और एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी ने नाकाम किया। यह हमला सिर्फ एक धर्मस्थल पर नहीं था, बल्कि भारत की सांप्रदायिक एकता पर वार था, जिसे भारत की बहादुर सेना ने नाकाम किया।

CENJOWS रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया हैं कि चीन ने इस संघर्ष को अपनी रक्षा प्रणालियों की 'लाइव फायर टेस्टिंग' के तौर पर देखा था। लेकिन जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान की मिसाइलों को हवा में उड़ा दिया, नूर खान एयरबेस को निष्क्रिय किया, और सैटेलाइट- सहायता से हमलों को रोक दिया, तो चीन की योजनाओं को करारा झटका लगा। ड्रैगन की तकनीकी श्रेष्ठता की पोल खुल गई।

CENJOWS, भारत के रक्षा मंत्रालय से जुड़ा हुआ एक उच्चस्तरीय थिंक टैंक है, जिसके एडवाइजरी बोर्ड में खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के शीर्ष कमांडर शामिल हैं। रिपोर्ट को ब्लूमबर्ग जैसी वैश्विक मीडिया एजेंसियों ने भी प्रकाशित किया है, जिससे इसके विश्वसनीय होने पर कोई संदेह नहीं रह जाता है।

भारत और चीन के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण रहा हैं डोकलाम से लेकर गलवान तक। लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि चीन भारत से व्यापार करता है, पर युद्ध की तैयारी भी करता है। पाकिस्तान जैसे देश को समर्थन देकर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है। भारत की सीमा पर उकसावे की कार्यवाहियों में लगातार लिप्त है। ऐसे में भारत को केवल सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी चीन की घेराबंदी करनी चाहिए।

"ऑपरेशन सिंदूर" अब केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक विजयगाथा बन गया है। इस संघर्ष में भारत ने न केवल पाकिस्तान को परास्त किया, बल्कि चीन की छिपी साजिश को भी उजागर कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके चेहरे से नकाब हटा दिया। अब समय आ गया है कि भारत सैन्य ताकत, कूटनीतिक चातुर्य और आर्थिक आत्मनिर्भरता के माध्यम से आने वाली हर चुनौती का सामना करे। ड्रैगन की चालबाजियों को समझना और उनके जवाब में सटीक रणनीति अपनाना ही 21वीं सदी की सबसे बड़ी जीत होगी।



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