श्री जल्ला हनुमान मंदिर में नवग्रह और शनिदेव की होगी स्थापना

Jitendra Kumar Sinha
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सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं और भक्तिभाव का केंद्र, पटना सिटी के बेगमपुर स्थित जल्ला हनुमान मंदिर एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का नया द्वार खोलने जा रहा है। लगभग 400 वर्षों से अधिक प्राचीन इस मंदिर में अब शनिदेव महाराज और नवग्रह देवताओं की स्थापना किया जा रहा है। साथ ही, राधा-कृष्ण की प्रतिमा का भी स्थापना के साथ भव्य आयोजन प्रस्तावित है। यह कार्य सावन माह आरंभ होने से पूर्व पूरा करने का संकल्प लिया गया है।

जल्ला हनुमान मंदिर पटना सिटी के उन प्रतिष्ठित मंदिरों में गिना जाता है, जहां प्राचीनता और पवित्रता का समन्वय देखने को मिलता है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, शनिदेव महाराज की प्रतिमा स्थापना से न केवल भक्तों को ग्रह दोषों से मुक्ति का मार्ग मिलेगा, बल्कि साप्ताहिक शनिवार पूजा की एक नई परंपरा भी प्रारंभ होगी।

मंदिर के प्रबंधक बालाजी ने बताया कि विशेष रूप से नवग्रह मंडप का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इसे अत्यंत शास्त्रोक्त विधियों से सम्पन्न किया जा रहा है। इसके अंतर्गत सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की मूर्तियों की भी प्रतिष्ठा किया जायेगा।

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन इसी माह में शनिदेव की पूजा और नवग्रह शांति के लिए भी विशेष अनुष्ठान किया जाता है। इसी कारण से मंदिर प्रबंधन ने जुलाई माह के अंत तक सभी निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है, ताकि श्रावण मास के शुभारंभ पर नई प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा विधिवत सम्पन्न हो सके।

मंदिर में केवल हनुमानजी ही नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण की प्रतिमा का स्थापना भी, भक्तों के लिए भक्ति रस और वैष्णव परंपरा को, जोड़ने का प्रयास है। इससे यह मंदिर हनुमान उपासकों के साथ-साथ कृष्ण भक्तों के लिए भी एक प्रमुख केंद्र बन जाएगा।

स्थानीय श्रद्धालुओं और आसपास के क्षेत्रों के लोगों में इस नए कार्य को लेकर काफी उत्साह और भावनात्मक जुड़ाव देखा जा रहा है। शनिदेव की स्थापना को लोग अपने जीवन में शुभ फल प्राप्ति से जोड़कर देख रहे हैं। साथ ही, मंदिर में बढ़ते धार्मिक आयोजनों से धार्मिक पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

जल्ला हनुमान मंदिर में शनिदेव और नवग्रहों की स्थापना एक धार्मिक नवाचार की तरह है, जो न केवल भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बनेगा, बल्कि पटना सिटी की धार्मिक पहचान को भी और अधिक समृद्ध करेगा।



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