जन सुराज पार्टी बिहार की 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने को तत्पर हैं जन सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर (PK)। जिस व्यक्ति ने वर्षों तक पर्दे के पीछे रहकर चुनावी रणनीतियों से सत्ता की तस्वीर बदली, वही अब खुद मैदान में उतरकर बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह न सिर्फ एक राजनीतिक घोषणा है, बल्कि एक बदलाव की चेतावनी भी है, उस राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ, जिसने वर्षों से बिहार को शिक्षा, रोजगार और विकास से वंचित रखा है।

जन सुराज पार्टी एक राजनीतिक अभियान और आंदोलन है, जिसकी नींव प्रशांत किशोर ने बिहार की धरती पर रखी है। यह आंदोलन कोई परंपरागत राजनीतिक पार्टी नहीं है, बल्कि जन सहभागिता पर आधारित एक वैकल्पिक राजनीतिक सोच है। प्रशांत किशोर का मानना है कि राजनीति अब केवल चुनाव जीतने का साधन नहीं, बल्कि जनता के जीवन को बदलने का माध्यम होनी चाहिए।

जन सुराज पार्टी की विशेषता है, ग्राम पंचायत स्तर से भागीदारी, नीतियों पर आधारित जन संवाद, राजनीति से अधिक सामाजिक सुधार का दृष्टिकोण और पारदर्शिता, सुशासन और जवाबदेही की पैरवी।

प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के बक्सर में हुआ है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के लिए आठ वर्षों तक कार्य किया और इसके बाद भारतीय राजनीति में रणनीतिकार के रूप में प्रवेश किया। उनकी उपलब्धियों की सूची काफी लंबी है। उन्होंने 2014 में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ऐतिहासिक जीत दिलाई,  2015 में बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन की वापसी कराया, 2021 में ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल में जबरदस्त जीत दिलाई और 2021 में डीएमके के स्टालिन की तमिलनाडु में सत्ता वापसी कराया।
इन उपलब्धियों के बाद, प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीति छोड़कर, खुद मैदान में उतरने का निर्णय लिया। उन्होंने जन सुराज पार्टी की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य है - बिहार की राजनीतिक संस्कृति को जड़ों से बदलना।

बिहार के खगड़िया में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि जन सुराज पार्टी 243 में से एक भी सीट छोड़े बिना चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा है कि "जिसको जितनी सीटों पर लड़ना है, वह लड़े। जनता को इससे कोई मतलब नहीं कि कौन कितनी सीट पर चुनाव लड़ रहा है। असली मुद्दा है कि बिहार से पलायन कैसे रुकेगा, शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधरेगी और भ्रष्टाचार कैसे मिटेगा।" इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि प्रशांत किशोर न सिर्फ राजनीति की गली में उतरने को तैयार हैं, बल्कि वहां विकास और सुशासन की रोशनी भी लाने वाले हैं।

प्रशांत किशोर ने एनडीए और यूपीए दोनों के शासन पर प्रश्न उठाया है। उनका कहना है कि बिहार की जनता ने इन दोनों गठबंधनों को काफी समय दिया है, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि "अब समय आ गया है कि बिहार के लोग एक नए विकल्प को मौका दें, जो सिर्फ वादे नहीं, काम करे।" उन्होंने चिराग पासवान, तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं से खुला सवाल किया है कि बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था कैसे बनेगी?, बेरोजगारी और पलायन को कैसे रोका जाएगा? और भ्रष्टाचार को जड़ से कैसे मिटाया जाएगा?

बिहार विधानसभा का आगामी चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में संभावित है। निर्वाचन आयोग ने अभी तक तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। बिहार विधानसभा में कुल सीटें 243 है और बहुमत के लिए आवश्यक सीटें 122 चाहिए। वर्तमान सत्ता समीकरण में  बिहार में एनडीए सरकार की सरकार चल रही है जिसमें भारतीय जनता पार्टी  और जनता दल (यूनाइटेड) शामिल है। लेकिन जिस प्रकार जन सुराज 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है, उससे यह संकेत मिलता है कि 2025 का चुनाव विचार और मुद्दों का होगा।

243 सीटों पर एकसाथ चुनाव लड़ना किसी भी नवोदित पार्टी के लिए बड़ा जोखिम होता है। लेकिन जन सुराज पार्टी ने पिछले दो वर्षों में जिस तरह से पंचायत से लेकर ब्लॉक स्तर तक नेटवर्क तैयार किया है, वह एक मजबूत आधार दे सकता है। संभावित रणनीति के तहत जातीय समीकरण से दूर रहकर मुद्दों पर आधारित प्रचार करना, युवाओं और छात्रों को पार्टी से जोड़ना, प्रवासी बिहारियों को ध्यान में रखकर रोजगार आधारित नीति बनाना तथा डिजिटल और जमीनी स्तर पर दोनों मोर्चों पर प्रचार अभियान चलाना, पार्टी के लिए बेहतर है।

पिछले कुछ वर्षों में बिहार की जनता का दृष्टिकोण बदला है। अब जनता नेताओं की जाति या पार्टी से ज़्यादा उनके काम और दृष्टिकोण को महत्व देने लगी है। बिहार जैसे राज्य में जहां पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है, वहां प्रशांत किशोर का 'मुद्दों की राजनीति' जनता के दिल को छू सकता है।

प्रशांत किशोर की योजना सुनने में क्रांतिकारी लगता है, लेकिन इसके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं। नवोदित दल होने के कारण दल के सामने सबसे बड़ी चुनौती होता है बूथ स्तर पर मजबूत नेटवर्क तैयार करना। चुनाव लड़ना एक महंगा काम है। सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने में अत्यधिक धन और मानव संसाधन की आवश्यकता होगी। स्थानीय नेताओं का अभाव होगा जो हर क्षेत्र के लिए सक्षम उम्मीदवार हो। बिहार की राजनीति में जाति एक प्रमुख भूमिका निभाता है। ऐसी स्थिति में जात पात से ऊपर उठकर वोट बटोर सकना आसान होगा?

जन सुराज पार्टी एक विचार है, और बिहार में विचारों की राजनीति बहुत कम देखने को मिलता है। अगर प्रशांत किशोर अपने आंदोलन को व्यवस्थित रूप से राजनीति में बदलते हैं, तो बिहार को एक मजबूत तीसरा विकल्प मिल सकता है। उनकी ईमानदार छवि, स्पष्ट नीतियाँ और जमीनी जुड़ाव उन्हें बाकी नेताओं से अलग खड़ा करता है।

प्रशांत किशोर का 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान एक साहसी और ऐतिहासिक कदम है। यह कदम न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिहार की राजनीति अब बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। अगर जन सुराज जनता से जुड़ने में सफल होता है और पारंपरिक राजनीति की जड़ता को चुनौती देता है, तो 2025 का चुनाव केवल सरकार बनाने का चुनाव नहीं, बल्कि राजनीति को पुनर्परिभाषित करने का अवसर भी बन सकता है।



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