रांची से एक अहम खबर सामने आई है जो राज्य के जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड विधानसभा द्वारा पारित सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन) (झारखण्ड संशोधन) विधेयक, 2021 को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस विधेयक के अनुमोदन के साथ ही राज्य में तंबाकू उत्पादों पर नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह विधेयक अब राजभवन को प्राप्त हो चुका है और इसके लागू होते ही झारखंड देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा जो तंबाकू के दुष्प्रभावों के विरुद्ध सख्त रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह संशोधन विधेयक झारखंड सरकार की उस दूरदृष्टि को दर्शाता है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। विधेयक में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन, व्यापार, उत्पादन, प्रदाय और वितरण को लेकर सख्त विनियमन का प्रावधान है। इसका उद्देश्य न सिर्फ युवाओं को तंबाकू के सेवन से रोकना है, बल्कि पूरे समाज में जागरूकता फैलाना भी है कि तंबाकू का सेवन किस प्रकार स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
झारखंड, जहाँ ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में तंबाकू उत्पादों का सेवन एक गहरी सामाजिक आदत बन चुका है, वहां इस तरह का कड़ा कानून समय की मांग था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक के लागू होने से खासकर स्कूली बच्चों, कॉलेज विद्यार्थियों और मजदूर वर्ग के बीच तंबाकू के उपयोग में गिरावट आयेगा। साथ ही, पान-गुटखा और सिगरेट जैसे उत्पादों की खुलेआम बिक्री पर प्रभावी रोक लगेगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य प्रशासन को अब इस कानून के सफल क्रियान्वयन की चुनौती है। इसके लिए निगरानी तंत्र को सशक्त करना होगा और स्थानीय निकायों के सहयोग से जन-जागरूकता अभियान चलाना होगा ताकि इस कानून की भावना सिर्फ कागजों तक सीमित न रह जाए। झारखंड सरकार की यह पहल न केवल राज्य को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।