कर्नाटक सरकार ने तंबाकू पर लगाई सख्ती - अब 21 वर्ष से कम उम्र के लोग नहीं खरीद सकेंगे तंबाकू

Jitendra Kumar Sinha
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कर्नाटक सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तंबाकू नियंत्रण को लेकर नया कानून लागू किया है। "सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विनियमन और नियंत्रण) विधेयक, 2024" को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद 30 मई को अधिसूचित कर दिया गया है। इस कानून के अंतर्गत न सिर्फ तंबाकू उत्पाद खरीदने की न्यूनतम आयु सीमा बढ़ाई गई है, बल्कि हुक्का बारों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।

अब तक देशभर में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोग तंबाकू उत्पाद खरीद सकते थे, लेकिन कर्नाटक ने यह उम्र सीमा बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी है। यानि अब 21 वर्ष से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी, हुक्का या किसी अन्य तंबाकू उत्पाद की खरीद नहीं कर सकेगा। यह बदलाव युवाओं में तंबाकू की लत को रोकने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

कानून में हुक्का बार्स को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। राज्य सरकार का मानना है कि हुक्का बार युवा पीढ़ी को तंबाकू और नशे की ओर आकर्षित कर रहा था। इन पर रोक लगाकर सरकार ने सामाजिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है। अब जो भी व्यक्ति हुक्का बार चलाते हुए पाया जाएगा, उसे सख्त सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।

इस नए कानून के तहत तंबाकू उत्पाद बेचने वाले दुकानदारों को भी सतर्क रहना होगा। यदि कोई दुकानदार 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को तंबाकू उत्पाद बेचता है, तो उसे जुर्माना भरना होगा। पहले जहां जुर्माना मामूली था, अब उसमें उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई है। यह जुर्माना हजारों रुपये तक हो सकता है और बार-बार उल्लंघन करने पर दुकान की लाइसेंस रद्द करने की कार्यवाही भी की जा सकती है।

कर्नाटक सरकार का यह कदम युवाओं को तंबाकू और नशे की गिरफ्त से बचाने की दिशा में एक दूरदर्शी नीति को दर्शाता है। विभिन्न शोधों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, कम उम्र में तंबाकू सेवन करने से व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक विकास पर गंभीर असर पड़ता है। इसीलिए सरकार ने युवाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कठोर कदम उठाया है।

यह कानून न सिर्फ कर्नाटक के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है। यदि अन्य राज्य भी इसी तरह की नीति अपनाएं, तो देशभर में युवाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है।

कर्नाटक सरकार का यह फैसला तंबाकू के खिलाफ जंग में मील का पत्थर साबित हो सकता है। जहां एक ओर यह कदम युवाओं की सेहत की रक्षा करेगा, वहीं दूसरी ओर समाज में नशे के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद करेगा। अब देखना यह है कि अन्य राज्य इस दिशा में क्या पहल करती है।



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