भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित चिनाब रेलवे ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है, बल्कि यह दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुलों में शामिल है। यह पुल चिनाब नदी पर बसा है और इसकी ऊंचाई 359 मीटर (एफिल टॉवर से भी अधिक) है। इसकी विशेषता केवल इसकी बनावट में नहीं, बल्कि उसमें लगे फौलादी हौसले में है, जिनका प्रतीक बनी हैं प्रोफेसर जी. माधवी लता।
2005 में जब यह पुल केवल एक योजना था, तभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलूरु की रॉक इंजीनियरिंग एक्सपर्ट माधवी लता को बतौर कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2022 में इसके पूरा होने तक इस प्रोजेक्ट में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी, 28,660 टन स्टील को ऊँचाई पर ले जाना और उसे स्थिर बनाना। हर मौसम में कार्य करना, तकनीकी परेशानियों को सुलझाना और टीम को मोटिवेट रखना, माधवी लता के दृढ़ संकल्प का उदाहरण है।
चिनाब ब्रिज को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह थी कि दोनों ओर की चट्टानों के बीच गैप बहुत बड़ा था, और साथ ही, इलाके की ढलान भी काफी तीखी थी। यह क्षेत्र भूकंप संभावित जोन में आता है और यहां 220 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए माधवी लता ने कई तकनीकी संशोधन सुझाए। उनके मार्गदर्शन में स्तंभों की संरचना को इस प्रकार डिजाइन किया गया कि वह सभी मौसमी और भौगोलिक दबावों को झेल सके।
पुल की नींव को ऐसे डिजाइन किया गया है कि वह उच्च तीव्रता वाले भूकंप, तेज़ हवाओं, भारी वर्षा और बर्फबारी का सामना कर सके। हर एक स्टील बीम, हर एक बोल्ट, और हर एक खंभा एक-एक निर्णय माधवी लता की विज्ञान और अनुभव पर आधारित सोच का परिणाम है।
माधवी लता केवल एक इंजीनियर ही नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। एक पुरुष-प्रधान क्षेत्र में उन्होंने 17 वर्षों तक लगातार काम कर दिखाया है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी ऊंचाई छुआ जा सकता है, चाहे वह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज ही क्यों न हो।