बलूचों की आवाज दबाने के लिए - पाकिस्तान लाया कठोर कानून

Jitendra Kumar Sinha
0

 


पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हाल ही में पारित ‘काउंटर टेररिज्म (संशोधन) अधिनियम 2025’ ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस्लामाबाद सरकार वाकई अपने नागरिकों की सुरक्षा चाहती है या हर विरोध को आतंकवाद बताकर कुचलना चाहती है। यह नया कानून न सिर्फ मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि बलूचों के दशकों पुराने संघर्ष को और भी भड़काने वाला कदम प्रतीत होता है।

बलूचिस्तान विधानसभा में पारित इस कानून के तहत सुरक्षा एजेंसियों को बिना किसी आरोप के 90 दिनों तक किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखने का अधिकार दिया गया है। इस हिरासत में न्यायिक निगरानी या कानूनी कार्रवाई की कोई बाध्यता नहीं होगी। "संदिग्ध आतंकवादी गतिविधि" की परिभाषा इतनी व्यापक और अस्पष्ट है कि इसका दुरुपयोग लगभग तय माना जा रहा है। यह अधिनियम पाकिस्तान के पहले से ही विवादित आतंकवाद निरोधक कानूनों को और अधिक कठोर बना देता है।

बलूचिस्तान लंबे समय से राजनीतिक उपेक्षा, आर्थिक शोषण और सांस्कृतिक दमन का शिकार रहा है। यहां के लोगों का आरोप है कि उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर सरकार बाकी प्रांतों को लाभ पहुंचा रही है। बलूच नेताओं, छात्रों और कार्यकर्ताओं को लापता करना या फर्जी मुठभेड़ों में मार देना आम हो चुका है। शांतिपूर्ण आंदोलनों को "विद्रोह" या "राष्ट्रविरोध" करार देकर कुचला जाता है। अब नया कानून इन दावों की पुष्टि करता दिखता है।

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून की कड़ी आलोचना की है। ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि यह अधिनियम मौलिक स्वतंत्रताओं का हनन है। यूएन मानवाधिकार परिषद भी पाकिस्तान से जवाब मांग सकती है कि वह किस आधार पर लोगों की गिरफ्तारी कर रहा है। बलूचिस्तान में पहले से ही मौजूद सैन्य उपस्थिति को अब कानूनी छूट मिल गई है, जो अत्याचार को संस्थागत रूप दे सकता है।

यह कानून पाकिस्तान के लोकतांत्रिक चरित्र पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। एक ओर वह विश्व समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की दुहाई देता है, वहीं दूसरी ओर अपने ही नागरिकों के अधिकारों को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। बलूचिस्तान में उठ रही आवाज़ें दबाई जा सकती हैं, लेकिन उनका जज्बा नहीं। क्योंकि इतिहास गवाह है, जहां दमन बढ़ता है, वहां संघर्ष भी तेज होता है।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top