बिहार के नौहट्टा प्रखंड अंतर्गत चफला पहाड़ी में केन्द्र सरकार ने एक बड़ी खनिज परियोजना की नींव रखी है। यहां पोटाश खनिज के एक महत्वपूर्ण स्वरूप ग्लूकोनाइट का उत्खनन शुरू किया गया है। यह कार्य रूंगटा एंड संस नामक कंपनी को सौंपा गया है, जो फिलहाल नमूना (सैंपल) निकालने की प्रक्रिया में जुटी है।
ग्लूकोनाइट एक प्रकार का खनिज है जिसमें पोटाश की प्रचुर मात्रा होता है। इसका उपयोग मुख्यतः उर्वरकों (fertilizers) में किया जाता है, जो कृषि उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त, इसका उपयोग कांच, साबुन और रासायनिक उद्योगों में भी किया जाता है। भारत में पोटाश का आयात भारी मात्रा में होता है, ऐसे में इसका स्थानीय स्रोत देश के लिए आर्थिक दृष्टि से बहुत लाभकारी हो सकता है।
2017 में बायोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने चफला, बनुआ, पहड़िया और मंगरदह क्षेत्रों में खनिजों की खोज किया था। सर्वेक्षण में पाया गया है कि इस इलाके में ग्लूकोनाइट का अकूत भंडार है। वर्षों की प्रक्रिया के बाद अब इस क्षेत्र में औपचारिक रूप से उत्खनन कार्य की शुरुआत किया जा रहा है।
कंपनी द्वारा अभी प्रारंभिक परीक्षण और नमूना निकासी का कार्य शुरू किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पूरी तरह से औद्योगिक स्तर पर उत्खनन शुरू होने में लगभग तीन साल का समय लगेगा। इस अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, पर्यावरणीय मूल्यांकन, स्थानीय सहमति और तकनीकी अध्ययन किया जाएगा।
स्थानीय निवासियों में उत्साह और आशंका दोनों देखा जा रहा है। कुछ लोगों को उम्मीद है कि खनन से रोजगार और आर्थिक विकास होगा, वहीं कुछ लोग पर्यावरणीय क्षति और पारिस्थितिक असंतुलन को लेकर चिंतित हैं।
चफला पहाड़ी पर ग्लूकोनाइट का उत्खनन भारत की खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन इस विकास को सतत (sustainable) और पर्यावरण अनुकूल बनाना अत्यंत आवश्यक है। यदि सरकार, कंपनी और स्थानीय समुदाय मिलकर संतुलन साधे, तो यह परियोजना एक नव युग की शुरुआत साबित हो सकता है।