भारत की रक्षा तैयारियों और नीतिगत रणनीति के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ गया है। फ्रांस की प्रतिष्ठित डिफेंस और एविएशन कंपनी डसॉल्ट एविशन (Dassault Aviation) और भारत की टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (TASL) के बीच हुआ करार न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत को नई ऊंचाई देगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा उत्पादन का अहम केंद्र भी बनाएगा। इस समझौते के तहत अब रफाल फाइटर जेट का फ्यूजलाज (यानि उसका मुख्य ढांचा) पहली बार फ्रांस के बाहर, भारत में तैयार किया जाएगा। साथ ही, भारत सरकार एक और अहम मोर्चे पर सक्रिय हो गई है, घरेलू परामर्श और ऑडिट फर्मों को वैश्विक समकक्षों के स्तर तक लाने की दिशा में।
रफाल फाइटर जेट का फ्यूजलाज यानि उसका मुख्य ढांचा वह केंद्रीय संरचना है, जो विमान के सभी हिस्सों को एक साथ जोड़ता है, जैसे पंख, कॉकपिट, इंजन और लैंडिंग गियर। इसका निर्माण अत्यंत परिशुद्धता और तकनीकी विशेषज्ञता की मांग करता है। डसॉल्ट और टाटा के बीच हुआ यह करार दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ हथियारों का खरीदार नहीं, उत्पादक और तकनीकी साझेदार भी बन चुका है।
इस समझौते के तहत हैदराबाद में रफाल फाइटर जेट का फ्यूजलाज तैयार करने के लिए उत्पादन इकाई स्थापित किया जाएगा। इसमें रफाल के पिछले फ्यूजलाज, अगला और पिछला हिस्सा भारत में बनेगा। उत्पादन वर्ष 2027-28 तक शुरू होने की संभावना है। यह पहली बार होगा कि रफाल का निर्माण फ्रांस से बाहर किया जाएगा। इससे भारत में अत्याधुनिक एविएशन तकनीक आएगी। हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। भारत रक्षा निर्माण में और सशक्त होगा और भारत में बने रफाल पार्ट्स का निर्यात संभव होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रहा 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत यह करार एक मील का पत्थर है। भारत अब रक्षा क्षेत्र में आयातक से निर्यातक बनने की ओर अग्रसर है। भारत के बड़े रक्षा उत्पादन में तेजस फाइटर जेट-पूरी तरह स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है, INS विक्रांत- भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, अर्जुन टैंक- भारत निर्मित उन्नत युद्धक टैंक है और अकाश मिसाइल प्रणाली- स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली है।
2017 से 2022 के बीच भारत सरकार ने लगभग 305 परामर्श अनुबंध विदेशी कंसल्टेंसी फर्मों को सौंपे हैं, इनकी अनुमानित लागत थी 500 करोड़ रुपए, जो कि चिंताजनक है क्योंकि इससे भारत की नीतियों और रणनीतियों में विदेशी प्रभाव बढ़ गया है। भारत में कंसल्टिंग और ऑडिट फर्मों में बिग-4 (Big 4) का नाम अक्सर सुनाई देता है, जिसमें Deloitte, PricewaterhouseCoopers (PwC), Ernst & Young (EY) और KPMG शामिल है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इन चारों ने मिलकर 38,800 करोड़ रुपये का कारोबार किया और 2024-25 में यह 45,000 करोड़ से पार जाने की संभावना
अब भारत सरकार चाहती है कि देश में भी ‘बिग-4’ जैसी मजबूत घरेलू कंसल्टेंसी व ऑडिट फर्में हों, जो नीति निर्माण, बुनियादी ढांचे और डिजिटल गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों में सलाहकार की भूमिका निभाएं। प्रधानमंत्री कार्यालय में हुए उच्च स्तरीय बैठक में भारत के भीतर मजबूत कंसल्टेंसी ईकोसिस्टम विकसित करने की रणनीति पर विचार किया गया था। यह रणनीति विकासशील नीति निर्माण, डिजिटल शासन, सार्वजनिक अवसंरचना, और कर नीति जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी।
भारत में भी कई मध्यम आकार की परामर्श कंपनियां और घरेलू खिलाड़ी मौजूद हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है। जिसमें ग्रांट थॉर्नटन भारत (Grant Thornton Bharat), बीडीओ इंडिया (BDO India), नांगिया एंडरसन (Nangia Andersen) और ध्रुव एडवाइजर्स (Dhruva Advisors) शामिल है।
भारत अब दो अहम मोर्चों पर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। वह है रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता- जैसे रफाल का फ्यूजलाज भारत में बनाना। नीति निर्माण में आत्मनिर्भरता- जैसे घरेलू कंसल्टेंसी फर्मों को बढ़ावा देना। यह दोहरी रणनीति भारत को न केवल एक मजबूत सैन्य शक्ति बनाएगी, बल्कि वैश्विक नीति निर्माण का केंद्र भी बना सकता है।
भारत का फ्रांस के साथ यह करार संकेत देता है कि भारत अब केवल रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि एक तकनीकी साझेदार बन रहा है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बन रहा है। नीति निर्माण में घरेलू परामर्श फर्मों की भूमिका से भारत की स्थिति और मजबूत होगी।
‘मेक इन इंडिया’ अभियान अब केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि नीति, रक्षा, तकनीक और ज्ञान आधारित क्षेत्रों तक पहुंच गया है। रफाल का भारत में बनना और ‘बिग-4’ की घरेलू प्रतिकृति तैयार करना दो ऐसे कदम हैं जो भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे ले जा रहा है।