भागलपुर के दो युवा खिलाड़ियों ने न केवल अपने खेल से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है, बल्कि अब उन्हें बिहार सरकार से सरकारी नौकरी मिलेगी। यह दोनों खिलाड़ी हैं- श्वेता कुमारी और प्रतीक राज, जिनकी उम्र महज 19 साल है। लेकिन इतनी कम उम्र में इन्होंने जो मेहनत किया, वह अब रंग ला रहा है।
श्वेता कुमारी नीलकोठी घाट, बरारी की रहने वाली है, एक टोटो चालक विनोद कुमार यादव की बेटी हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद श्वेता ने रग्बी में कई गोल्ड मेडल जीतकर अपने माता-पिता और भागलपुर का नाम रोशन किया है।
प्रतीक राज भीखनपुर गुमटी नंबर दो के निवासी है, इनके पिता पप्पू राय एक छोटे व्यवसायी हैं। आर्थिक चुनौतियों के बीच भी प्रतीक ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने रग्बी में खुद को साबित किया है।
इन दोनों खिलाड़ियों की सफलता की कहानी केवल खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस प्रेरणा की कहानी है, जिसमें सीमित संसाधनों और आर्थिक अभावों के बावजूद इन्होंने कभी हार नहीं मानी। रग्बी जैसे अपेक्षाकृत कम चर्चित खेल में इनकी मेहनत ने न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान बनाई है।
बिहार सरकार ने हाल ही में जिन खिलाड़ियों ने राज्य और देश का नाम रोशन किया है, उन्हें सरकारी नौकरी देने की नीति बनाई है। उसी कड़ी में श्वेता और प्रतीक का भी चयन हुआ है। उन्हें खेल कोटा के अंतर्गत सरकारी नौकरी देने के लिए औपबंधिक सूची में नामित कर दिया गया है।
श्वेता कुमारी और प्रतीक राज के माता-पिता के लिए यह पल किसी सपने के सच होने जैसा है। श्वेता कुमारी के पिता विनोद यादव कहते हैं, "टोटो चलाकर बेटी की पढ़ाई और खेल में मदद की है। अब उसका फल मिल गया।" वहीं प्रतीक राज के पिता पप्पू राय कहते हैं, "बेटा आज जो कुछ भी है, अपने दम पर है। हमें गर्व है।"
श्वेता कुमारी और प्रतीक राज जैसे खिलाड़ियों की सफलता यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों तो संसाधनों की कमी भी आड़े हाथ नहीं आता। यह दोनों खिलाड़ी अब उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है जो गरीबी, अभाव और सीमाओं के बावजूद अपने सपनों को उड़ान देना चाहते हैं।