देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में वामदल - सड़क पर उतरेगी- 9 जुलाई को ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत देशव्यापी हड़ताल

Jitendra Kumar Sinha
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देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, निजीकरण और जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ जनआंदोलन तेज होता जा रहा है। इसी कड़ी में माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) और अन्य वामदलों ने आगामी 9 जुलाई को ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत देशव्यापी हड़ताल को समर्थन देने का ऐलान किया है। वामपंथी दलों ने घोषणा की है कि वे इस दिन सड़कों पर उतरकर आम जनता के मुद्दों को जोर-शोर से उठाएंगे।

रांची के राहे प्रखंड के पांडूराम मुंडा की अध्यक्षता में माकपा की पूर्वी जिला कमिटी की बैठक संपन्न हुई। बैठक में झारखंड राज्य सचिव मंडल सदस्य समीर दास एवं सुफल महतो ने मार्गदर्शन दिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि 9 जुलाई को मजदूरों के अधिकारों और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ माकपा एवं अन्य वामपंथी संगठन एकजुट होकर आंदोलन करेंगे।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 18 जून को रांची के दलादली क्षेत्र में एक भव्य 'शहीद मेला' का आयोजन किया जाएगा। यह मेला शहीद लक्ष्मीकांत सवांसी, शहीद द्वारिका महतो, शहीद शशोधर मुंडा, शहीद गोपाल सिंह मुंडा, शहीद दानी दत्ता, शहीद फागू मुंडा, शहीद रघुनाथ महतो, शहीद सुभाष मुंडा सहित कुल 70 शहीदों की स्मृति में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन रिंग रोड स्थित दलादली मैदान में सम्मानपूर्वक किया जाएगा।

वामपंथी संगठनों ने यह स्पष्ट किया है कि सिर्फ हड़ताल ही नहीं, बल्कि झारखंड में ग्रामीण स्तर पर भी आंदोलन तेज किया जाएगा। किसानों को समय पर बीज एव खाद उपलब्ध कराने, वनपट्टा अधिकार देने, जल-जंगल-जमीन की रक्षा, जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चाबंदी, सिंचाई की सुविधा, विस्थापन और कृषि भूमि की सुरक्षा के मुद्दे पर प्रखंड स्तर पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई गई है।

बैठक में माकपा जिला सचिव दिवाकर सिंह मुंडा, जिला कमिटी सदस्य जयपाल सिंह मुंडा, शोभाराम महतो, विसमवर महतो, पांडूराम मुंडा, रंगोवती देवी, रीता स्वासी, लक्ष्मी मुंडा सहित कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद रहे।

माकपा की यह पहल साफ तौर पर दर्शाती है कि वामपंथी दल अब झारखंड की धरती पर एक बार फिर जनता की आवाज बनने और जनसंघर्ष की धारा को तेज करने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। 9 जुलाई की हड़ताल केवल मजदूरों की आवाज नहीं होगी, बल्कि किसानों, छात्रों, महिलाओं और आम नागरिकों की एकता का प्रतीक भी बनेगी।

देश की मौजूदा आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों में वामपंथी दलों का यह आंदोलन आने वाले समय में एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक चेतना का वाहक बन सकता है। झारखंड से उठ रही यह हुंकार अब राष्ट्रीय मंच तक पहुंचने को तैयार है।



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