वियतनाम ने दशकों पहले जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए "दो बच्चों की नीति" लागू की थी। इसका उद्देश्य था—तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण पाना और संसाधनों पर पड़ रहे दबाव को कम करना। शुरू में इस नीति के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले, लेकिन समय के साथ इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगा हैं।
हाल के वर्षों में वियतनाम की जन्म दर में लगातार गिरावट देखी जा रही है। वर्ष 2021 में प्रति महिला औसतन 2.11 बच्चों का जन्म हो रहा था, जो प्रतिस्थापन दर (Replacement Rate) से थोड़ा अधिक था। लेकिन इसके बाद यह दर तेजी से घटी है, जिससे अब जनसंख्या संतुलन पर संकट खड़ा हो गया है। इस गिरावट के चलते देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रहा है, जिससे कार्यशील युवा आबादी कम होता जा रहा है। इससे भविष्य में वियतनाम की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ सकता है।
जनसंख्या की इस बदलती संरचना को देखते हुए, वियतनाम सरकार ने एक साहसिक निर्णय लिया है। अब दो बच्चों की सीमा को आधिकारिक रूप से खत्म कर दिया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य है, जन्म दर को प्रोत्साहित करना, युवा आबादी की संख्या बनाए रखना और भविष्य में संभावित श्रम शक्ति की कमी से निपटना। सरकार को उम्मीद है कि इस निर्णय से युवा परिवार अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित होंगे।
वियतनाम का यह कदम एशिया के कई अन्य देशों के लिए उदाहरण बन सकता है, जहां जनसंख्या नियंत्रण की पुरानी नीतियों ने अब नई समस्याओं को जन्म देना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए चीन की एक बच्चे की नीति ने बुजुर्गों का बोझ बढ़ा दिया है, दक्षिण कोरिया और जापान भी जन्म दर गिरने से परेशान हैं। ऐसे में वियतनाम का यह बदलाव यह दर्शाता है कि अब सरकार जनसंख्या नियंत्रण की जगह जनसंख्या स्थायित्व और संतुलन पर जोर दे रहा है।
वियतनाम का यह फैसला दिखाता है कि नीतियों का समय-समय पर मूल्यांकन और उसमें बदलाव करना आवश्यक है। जहां एक ओर अत्यधिक जनसंख्या चुनौती है, वहीं दूसरी ओर अत्यधिक गिरावट भी आर्थिक और सामाजिक संकट को जन्म दे रही है।