पटना में लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन समारोह के दौरान एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें देखा गया कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर उनके मंच पर, उनके पैर के पास रखी गई थी। इस दृश्य ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
भाजपा और एनडीए नेताओं ने इस वीडियो को लेकर लालू यादव और उनके परिवार पर तीखा हमला बोला। भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इसे सीधे-सीधे “दलितों का अपमान” करार दिया। उनका कहना है कि जिन बाबा साहेब ने हमें संविधान दिया, उनकी तस्वीर को लालू यादव ने पैरों के पास रखकर उनका और देश के करोड़ों दलितों का अपमान किया है। सम्राट चौधरी ने इस घटना के लिए तेजस्वी यादव को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्हें इसके लिए सज़ा मिलनी चाहिए।
सम्राट चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि लालू प्रसाद यादव के डीएनए में ही पिछड़ों और दलितों का अपमान भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि भाजपा इसे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं मान रही है, बल्कि यह सामाजिक और संवैधानिक अपमान का मामला है। उन्होंने लालू परिवार से इस शर्मनाक हरकत के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की।
वहीं, राजद प्रमुख के बचाव में उनके बेटे तेजस्वी यादव सामने आए और उन्होंने भाजपा पर पलटवार किया। तेजस्वी ने इस पूरे प्रकरण को “राजनीतिक साजिश” बताया और कहा कि यह सब जानबूझकर फैलाया गया भ्रम है। उनका कहना है कि उनके पिता ने हमेशा बाबा साहेब आंबेडकर और संविधान का सम्मान किया है। उन्होंने खुद अपने कार्यकाल में कई जगहों पर आंबेडकर की प्रतिमाएं लगवाई हैं और दलितों के लिए योजनाएं चलाई हैं।
तेजस्वी ने यह भी कहा कि भाजपा की यह चाल सिर्फ चुनावी राजनीति के लिए है और इसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने बीजेपी को "बड़का झूठा पार्टी" कहकर तंज भी कसा। उनका कहना है कि जिन लोगों ने कभी आंबेडकर को सम्मान नहीं दिया, वे अब दिखावे के लिए उनके नाम पर राजनीति कर रहे हैं।
इस पूरे विवाद ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर भाजपा इसे दलित स्वाभिमान और आंबेडकर के सम्मान का मुद्दा बना रही है, वहीं आरजेडी इसे साजिश और झूठा प्रचार बता रही है। विधानसभा चुनावों से पहले उठे इस मुद्दे ने साफ कर दिया है कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति और भी गर्म होने वाली है।