बदलते समय के साथ अब बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग भी डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ी पहल करते हुए अपने अधीन कार्यरत सभी गैर-चिकित्सकीय और गैर-नर्सिंग स्टॉफ का ऑनलाइन डाटा संग्रहण शुरू कर दिया है। इस ऐतिहासिक और अत्यंत महत्वपूर्ण कदम का उद्देश्य है प्रशासनिक पारदर्शिता, समयबद्ध सेवा प्रबंधन और प्रभावी मानव संसाधन योजना।
स्वास्थ्य विभाग के इस अभियान के तहत चिकित्सक (डॉक्टर) और नर्सों को छोड़कर विभाग के अन्य सभी कर्मचारियों की जानकारी एक गूगल शीट फॉर्मेट के माध्यम से जुटाई जा रही है। इसमें क्लर्क, टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, सफाई कर्मचारी, वार्ड ब्वॉय, ड्राइवर, लेखा-कर्मचारी, आईटी स्टाफ जैसे अनेक विभागीय पदाधिकारी और कर्मी शामिल हैं।
यह प्रक्रिया राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों, डेंटल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, अनुमंडलीय अस्पतालों, पीएचसी, सीएचसी और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में लागू की गई है। सभी संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि अपने अधीनस्थ सभी कर्मचारियों की विस्तृत जानकारी 26 जून, 2025 तक हर हाल में गूगल सीट पर अपलोड कर दिया जाए।
डाटा संग्रह से कर्मचारियों की सटीक संख्या और तैनाती की जानकारी मिल सकेगी। स्थानांतरण और पदस्थापन की प्रक्रिया पारदर्शी और डिजिटल होगी। रिक्त पदों की पहचान कर भर्ती प्रक्रिया को गति दिया जा सकेगा। मानव संसाधन की जरूरतों और प्रशिक्षण की योजनाएं बेहतर ढंग से बन सकेगी।
प्रत्येक कर्मचारी से नाम, पदनाम, कार्यस्थल, तैनाती तिथि, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, आधार संख्या (यदि हो), शैक्षणिक योग्यता, सेवा की अवधि, और सेवा पुस्तिका की स्थिति जैसे बिंदुओं की जानकारी मांगी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि जो भी संस्थान तय तिथि तक डाटा अपलोड नहीं करेगा, उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही डाटा की गुणवत्ता की भी जांच होगी ताकि गलत या अधूरी जानकारी के लिए संबंधित संस्थान जवाबदेह होगी।
स्वास्थ्य विभाग की यह पहल न केवल प्रशासनिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह “ई-गवर्नेंस” को जमीन पर उतारने की ठोस कोशिश भी है। आने वाले समय में इस डाटा के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने, कर्मियों की जवाबदेही तय करने और योजनाओं को लक्ष्य आधारित तरीके से लागू करने में बड़ी मदद मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग का यह डिजिटल डाटा संग्रह अभियान एक दूरदर्शी पहल है। इससे न केवल विभाग के पास एक सटीक मानव संसाधन डाटाबेस तैयार होगा, बल्कि भविष्य की नीतियों, नियुक्तियों, और योजनाओं में पारदर्शिता और कुशलता का नया अध्याय भी शुरू होगा।
