पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इसहाक डार ने सोमवार को पाकिस्तानी संसद में बयान देते हुए सोशल मीडिया पर वायरल हो रही उस वीडियो क्लिप को पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत करार दिया जिसमें दावा किया गया था कि अगर इज़राइल ने ईरान पर परमाणु हमला किया, तो पाकिस्तान जवाब में इज़राइल पर परमाणु हमला करेगा। वीडियो में एक ईरानी जनरल को यह कहते हुए दिखाया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने स्पष्ट किया कि यह क्लिप एडिट की गई, फर्जी है और इसका कोई आधिकारिक आधार नहीं है।
इसहाक डार ने कहा कि यह क्लिप गंभीर, गैर-जिम्मेदाराना और फैब्रिकेटेड है। उन्होंने संसद में कहा कि पाकिस्तान की परमाणु नीति हमेशा जिम्मेदार और आत्म-रक्षा पर आधारित रही है। 1998 में जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए थे, तब से अब तक उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पाकिस्तान ने कभी भी किसी देश को परमाणु हमले की धमकी नहीं दी है और न ही देगा।
डार ने जोर देकर कहा कि जो लोग इस तरह की वीडियो बनाते हैं या फैलाते हैं, वे न सिर्फ क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं, बल्कि वैश्विक अस्थिरता को भी हवा देते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई मज़ाक या राजनीतिक हथियार नहीं है, यह एक अत्यंत संवेदनशील मामला है, जिससे लाखों ज़िंदगियाँ प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने इस तरह की हरकतों की कड़ी निंदा की और बताया कि पाकिस्तान ने वीडियो की प्रामाणिकता की जांच करवाई है, और यह साबित हो चुका है कि यह वीडियो doctored और misleading है।
इस क्लिप को कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल किया गया और इसमें एक ईरानी अधिकारी को यह कहते हुए दिखाया गया कि पाकिस्तान इज़राइल पर हमला करेगा। परंतु ना तो ईरान की ओर से ऐसी कोई आधिकारिक घोषणा हुई है और ना ही पाकिस्तान की ओर से। iVerify जैसे अंतरराष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग प्लेटफ़ॉर्म्स ने भी इस वीडियो को फर्जी और एडिटेड बताया है।
पाकिस्तान ने स्पष्ट किया कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल आत्म-रक्षा के लिए है, न कि किसी भी प्रकार के हमले या धमकी के लिए। इस बयान के जरिए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अपने पड़ोसी देशों को यह संदेश दिया है कि वह युद्ध या तबाही नहीं चाहता, बल्कि शांति और स्थिरता का पक्षधर है।
यह मामला एक और उदाहरण है कि किस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल करके गलत सूचनाएं फैलाई जा सकती हैं। पहले भी डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू से जुड़े फर्जी वीडियो वायरल हो चुके हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि सोशल मीडिया पर किसी भी संवेदनशील मुद्दे से जुड़ी जानकारी को आंख बंद करके न माना जाए और उसकी सत्यता की पुष्टि की जाए।
पाकिस्तान के इस आधिकारिक खंडन के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि वायरल वीडियो पर फैलाया गया भ्रम समाप्त होगा और लोग इस तरह की झूठी सूचनाओं के प्रति अधिक सतर्कता बरतेंगे।