पटना के जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बुधवार सुबह करीब 8 से 9 बजे के बीच इंटरनेट सेवा अचानक ठप हो गई, जिससे एयरपोर्ट का पूरा डिजिटल सिस्टम फेल हो गया। इस तकनीकी गड़बड़ी की वजह से चेक-इन काउंटर से लेकर बोर्डिंग तक हर प्रक्रिया ठप हो गई और यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। बोर्डिंग पास नहीं छप सके और लंबी कतारें लग गईं।
इस एक घंटे की गड़बड़ी के कारण बेंगलुरु की दो फ्लाइट्स सहित दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद जाने वाली उड़ानों में 1 से डेढ़ घंटे की देरी हुई। यात्रियों को चेक-इन, सुरक्षा जांच और बोर्डिंग में भारी परेशानी हुई। मुंबई से आने वाली स्पाइसजेट की फ्लाइट SG-948 को रनवे पर ही करीब 40 मिनट तक रोका गया क्योंकि पार्किंग की जगह नहीं थी। एयरब्रिज होते हुए भी यात्रियों को विमान में ही बैठाए रखा गया, जिससे गर्मी और घुटन से कई यात्रियों की हालत खराब हो गई। कई लोगों ने सोशल मीडिया और ग्राउंड स्टाफ से इस व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई।
यह विफलता ऐसे समय हुई जब पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन महज कुछ ही हफ्ते पहले, 29 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। नए टर्मिनल को अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस बताया गया था, लेकिन केवल एक घंटे की इंटरनेट विफलता ने इन दावों की पोल खोल दी। एयरपोर्ट प्रशासन और एयरलाइंस की ओर से कोई स्पष्ट सूचना या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई, जिससे यात्रियों में भ्रम और गुस्सा और भी बढ़ गया।
इस पूरी घटना ने पटना एयरपोर्ट की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब करोड़ों रुपये खर्च कर नया टर्मिनल तैयार किया गया है, तो इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हुई? इंटरनेट फेल होते ही पूरा सिस्टम ध्वस्त हो जाना यह दर्शाता है कि आपातकालीन बैकअप और प्रबंधन योजना पूरी तरह से नाकाम रही। यात्रियों का कहना है कि ऐसे हालातों में एयरपोर्ट पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने नहीं आया। यह घटना भविष्य के लिए एक चेतावनी है कि केवल भव्यता और तकनीक नहीं, बल्कि मजबूत बैकअप और तत्काल प्रतिक्रिया प्रणाली भी ज़रूरी है।