पुणे में इंद्रायणी नदी पर पुल ढहा, दर्जनों पर्यटक बहे, कई लापता

Jitendra Kumar Sinha
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पुणे के कुंडमाला इलाके में रविवार दोपहर एक बड़ा हादसा हो गया जब इंद्रायणी नदी पर बना लगभग 30 साल पुराना लोहे का पैदल पुल अचानक टूट गया। हादसे के समय पुल पर लगभग 100 से 125 पर्यटक मौजूद थे, जिनमें से कुछ सेल्फी ले रहे थे और कुछ दोपहिया वाहन लेकर पुल पर चढ़े हुए थे। बारिश के चलते नदी का जलस्तर पहले ही काफी बढ़ चुका था, और जब भारी भीड़ का दबाव पड़ा, तो कमजोर हो चुका पुल अचानक भरभराकर नीचे गिर पड़ा। इस घटना में कई लोग सीधे नदी के तेज बहाव में गिर गए। बताया जा रहा है कि करीब 25 से 30 लोग नदी में बह गए या फंस गए थे।


घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस, फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और तेजी से बचाव कार्य शुरू किया गया। अब तक लगभग 38 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन 15 से 20 लोग अब भी लापता हैं। कुछ शव बरामद किए गए हैं और मृतकों की संख्या 4 से 6 के बीच बताई जा रही है, हालांकि यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई थी और स्थानीय लोग भी बचाव में जुट गए थे।


मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवज़े की घोषणा की है और घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा। उन्होंने इस पूरे हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और राज्यभर में पुराने पुलों की स्ट्रक्चरल जांच कराए जाने की बात कही है। इस हादसे ने एक बार फिर जर्जर हो चुके सार्वजनिक ढांचों और पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। खासकर मानसून के दौरान भीड़भाड़ वाले इलाकों में अतिरिक्त एहतियात की ज़रूरत है, लेकिन अक्सर ये सावधानियां केवल हादसों के बाद ही याद आती हैं।


यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह से बुनियादी ढांचे की अनदेखी और भीड़ नियंत्रण की कमी आम लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस पुल की स्थिति लंबे समय से खराब थी और इसे कई बार मरम्मत की ज़रूरत थी, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। हादसे के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर है और लोगों में प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश भी दिखाई दे रहा है।


अगर समय रहते पुल की जांच और मरम्मत हुई होती, तो शायद यह भयावह दुर्घटना टाली जा सकती थी। यह एक चेतावनी है कि देश भर में ऐसे जर्जर ढांचों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है, नहीं तो अगला हादसा कहीं और, किसी और का इंतज़ार कर रहा होगा।

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