इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि ईरान ने न सिर्फ उन्हें बल्कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी मारने की कोशिश की थी। नेतन्याहू ने अमेरिकी न्यूज़ चैनल फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि ईरानी शासन उन्हें खत्म करना चाहता है, और ट्रंप को उसने अपना "नंबर 1 दुश्मन" घोषित किया है। उन्होंने कहा कि ईरान ने पहले से ही ट्रंप के खिलाफ दो बार जानलेवा हमले की कोशिश की, जिसमें एक ड्रोन हमला भी शामिल था, जो ट्रंप के घर की ओर भेजा गया था।
नेतन्याहू के मुताबिक, यह कोई सामान्य धमकी नहीं थी, बल्कि एक गंभीर साजिश थी जिसमें ईरान की मंशा साफ थी – उन सभी लोगों को खत्म करना जो उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप और वह, दोनों ही ईरान के खिलाफ एक निर्णायक और आक्रामक नीति के पक्षधर थे। ट्रंप ने उस परमाणु समझौते को तोड़ दिया था जिसे बराक ओबामा के समय में ईरान के साथ किया गया था, और यही बात ईरान को नागवार गुज़री। नेतन्याहू ने कहा कि ट्रंप ने उन्हें परमाणु करार के खिलाफ एक ‘जूनियर पार्टनर’ की तरह समर्थन दिया और दोनों ने मिलकर ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने का प्रयास किया।
इज़राइली प्रधानमंत्री ने दावा किया कि ईरान अब भी गुपचुप तरीके से यूरेनियम समृद्ध कर रहा है और यह तय करना बहुत मुश्किल है कि उसके पास पहले से ही बम है या वह बस एक कदम दूर है। उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान का परमाणु हथियार हासिल करना न केवल इज़राइल बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा होगा। इस इंटरव्यू से साफ संकेत मिलता है कि नेतन्याहू अमेरिका और बाकी दुनिया को ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए तैयार कर रहे हैं, और साथ ही ट्रंप के साथ अपनी दोस्ती और रणनीतिक तालमेल को भी वैश्विक मंच पर दोबारा स्थापित करना चाहते हैं।
यदि यह सब सच है, तो यह केवल एक कूटनीतिक चिंता नहीं, बल्कि एक वैश्विक संकट की शुरुआत हो सकती है – जिसमें व्यक्तिगत दुश्मनी, रणनीतिक हित और वैश्विक सुरक्षा एक साथ टकरा रहे हैं। नेतन्याहू के इस दावे ने मध्य-पूर्व की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका-ईरान-इज़राइल की त्रिकोणीय शक्ति संतुलन को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।