स्वास्तिक रूप में - 525 शिवलिंग - कोटा का है 'शिवपुरी धाम'

Jitendra Kumar Sinha
0




राजस्थान का कोटा शहर जहां एक ओर कोचिंग और शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है, वहीं यह आध्यात्मिक नगरी भी है, जहां शिवभक्तों की आस्था का केंद्र बन चुका है “शिवपुरी धाम”। कोटा के धेगड़ा (बेगड़ा) क्षेत्र में स्थित यह धाम अपने अनूठे स्वरूप और धार्मिक महत्व के कारण भक्तों के लिए एक अतुलनीय तीर्थ बन चुका है। यहां स्वास्तिक रूप में 525 शिवलिंगों की स्थापना की गई है, जो न केवल वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा की गहराई को भी दर्शाता है।

शिवपुरी धाम का उद्गम केवल ईंट-पत्थरों का जोड़ नहीं है, बल्कि यह एक महात्मा के संकल्प, तप और भक्ति का साकार रूप है। नागा बाबा राणारामपुरी महाराज, जिन्होंने नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान यह संकल्प लिया कि वे कोटा में ऐसा स्थान बनाएंगे जहां एक साथ सैकड़ों श्रद्धालु शिव का पूजन कर सकें। उनके जीवन का ध्येय यही रहा कि साधकों को साधना के लिए एक दिव्य और शांत वातावरण मिल सके। उन्होंने कोटा के धेगड़ा क्षेत्र को चुना, जहां उन्होंने सबसे पहले द्वादश (12) शिवलिंगों की स्थापना कर इस पवित्र कार्य की नींव रखी।

नागा बाबा राणारामपुरी महाराज के निधन के बाद उनके शिष्य संत सनातन पुरी ने अपने गुरु के अधूरे कार्य को आगे बढ़ाया। वर्ष 2007 में उन्होंने 525 शिवलिंग की स्थापना करवाई, जो स्वास्तिक आकृति में स्थापित किया गया है। यह आकृति संपूर्णता, सकारात्मक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

इस प्रकार  “शिवपुरी धाम” आज केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि एक ऐसा ऊर्जा केंद्र बन चुका है, जहां भक्तों को आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।

स्वास्तिक का आकार भारतीय धर्म, वास्तु और ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस धाम में 525 शिवलिंग को स्वास्तिक के चारों भुजाओं पर बड़ी ही कलात्मकता और आध्यात्मिक सोच के साथ स्थापित किया गया है। यह रचना दर्शाता है कि धर्म केवल भाव नहीं, एक वैज्ञानिक सोच भी है। शिवलिंगों की यह स्थिति ऊर्जा संतुलन, दिशा अनुरूप पूजन और आध्यात्मिक अनुभवों को और अधिक गहन बनाता है।

“शिवपुरी धाम” शोभा का प्रमुख केंद्र है,  विशाल सहस्त्र शिवलिंग, जो कि 14 फीट ऊंचा और 14.5 टन वजनी है। इसका व्यास 6 फीट है और यह एक ही पत्थर से निर्मित है। इस शिवलिंग पर हजारों छोटे शिवलिंग उकेरे गए हैं, जो इसे सहस्त्र शिवलिंग का रूप देता हैं। यह अद्भुत संरचना भक्तों को कैलाश पर्वत की याद दिलाता है और यह विश्वास दिलाता है कि भगवान शिव साक्षात इस स्थान पर विराजमान हैं।

शिवलिंगों के अलावा  “शिवपुरी धाम”  में अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं, जो इस स्थान को एक बहु-आध्यात्मिक केंद्र बनाता है। 

“शिवपुरी धाम” में शिव के रक्षक रूप में भैरव बाबा, अन्न और समृद्धि की देवी अन्नपूर्णा माता, त्रिदेव का एकात्मक रूप भगवान दत्तात्रेय, विघ्नहर्ता और मंगलकारी भगवान गणेश, जो श्रद्धालुओं को गुरु-शिष्य परंपरा की याद दिलाता है राणारामपुरी महाराज की समाधि एव प्रतिमा विराजमान है।

“शिवपुरी धाम” में महाशिवरात्रि, राणारामपुरी महाराज की पुण्यतिथि और सावन के सोमवार विशेष उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इन दिनों यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो पूरे वातावरण को शिवमय बना देता है। अभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और भजन संध्या जैसे कार्यक्रम श्रद्धालुओं को दिव्यता से भर देता है। रुद्राक्ष माला, त्रिपुंड, बेलपत्र और धतूरा से सजी पूजा थालियों की कतारें देखकर लगता है मानो स्वयं कैलाश धाम उतर आया हो।

“शिवपुरी धाम”  केवल एक पूजा स्थल नहीं है, यह स्थानीय समाज के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव का केंद्र बन चुका है। यहां पर भक्तों के लिए नि:शुल्क भंडारा, सामूहिक विवाह और संस्कारों का आयोजन, योग और ध्यान शिविर, विद्यार्थियों और युवाओं के लिए धर्मशिक्षा और सेवा कार्य होता है। इन सभी प्रयासों से यह स्थान एक जीवंत आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के रूप में उभर रहा है।

राजस्थान में धार्मिक पर्यटन के कई केंद्र हैं  पुष्कर, नाथद्वारा, रणकपुर, और माउंट आबू जैसे। परंतु कोटा का शिवपुरी धाम अपनी विशिष्ट रचना और दर्शन के कारण आज एक नई धार्मिक पहचान बना चुका है।

यह स्थान धार्मिक यात्रियों के लिए स्थिरता और दिव्यता का केंद्र है। शोधकर्ताओं और वास्तुविदों के लिए अध्ययन का विषय। फोटोग्राफरों और ब्लॉगरों के लिए आस्था और सौंदर्य का संगम।

संत सनातन पुरी और उनके अनुयायियों ने “शिवपुरी धाम”  को और व्यापक बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिसमें धार्मिक पुस्तकालय और अध्ययन केंद्र, योग एव साधना आश्रम, आवासीय धर्मशाला और प्राकृतिक हरियाली एव जल संरक्षण योजनाएं शामिल है। इन योजनाओं से यह स्थान केवल श्रद्धा का केंद्र ही नहीं, संवेदनशील पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण भी बनेगा।

हर वह स्थान जहां शिवलिंग स्थापित हो, वह केवल एक मंदिर नहीं होता है; वह अनुभूति का केंद्र होता है।   “शिवपुरी धाम” में जब भक्त 525 शिवलिंग के मध्य बैठकर ध्यान करता है, तो उसे एक गहरी शांति का अनुभव होता है, जैसे जीवन की हर हलचल थम गया हो। यह धाम सिखाता है कि भक्ति का अर्थ केवल पूजा नहीं, संकल्प और सेवा भी है। गुरु-शिष्य परंपरा से जो संकल्प उठता हैं, वह युगों तक अमर रहता है। शिव केवल एक देव नहीं हैं, एक चेतना हैं, जो सबके भीतर है।

 “शिवपुरी धाम”, कोटा के धार्मिक मानचित्र पर उभरता हुआ एक रत्न है, जो आस्था, वास्तु, अध्यात्म और सामाजिक सेवा का अनुपम संगम प्रस्तुत करता है। यह स्थान याद दिलाता है कि जब संकल्प, तप और भक्ति मिलता है, तो एक दिव्य धाम की रचना होती है। 



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top