सोना अब सिर्फ शौक या निवेश का जरिया नहीं रहा, बल्कि उपभोक्ता जागरूकता और भरोसे का प्रतीक बन चुका है। इसी दिशा में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने एक बड़ा और उपभोक्ता हित में अहम फैसला लिया है। अब 9 कैरेट सोने के आभूषणों पर भी हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है। यह निर्णय इसी माह से लागू कर दिया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को कम शुद्धता वाले सोने में भी गुणवत्ता की गारंटी मिल सकेगी।
9 कैरेट सोने का मतलब होता है 37.5% शुद्धता वाला सोना। बाकी भाग तांबा, चांदी या अन्य धातुएं होती हैं जो इसे टिकाऊ और किफायती बनाती हैं। आजकल बाजार में सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, ऐसे में आम लोगों ने 22 या 18 कैरेट की बजाय 9 कैरेट सोने की ओर रुख किया है। यह आभूषण सस्ते होते हैं और देखने में सुंदर लगते हैं, पर शुद्धता पर सवाल उठते रहे हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो का उद्देश्य उपभोक्ताओं को ठगे जाने से बचाना है। अब तक 22, 20, 18 और 14 कैरेट तक के सोने पर हॉलमार्किंग अनिवार्य था, लेकिन 9 कैरेट की अनदेखी हो रही थी। अब इस वर्ग को भी शामिल कर लिया गया है। नया नियम कहता है कि अब 9 कैरेट से लेकर 24 कैरेट तक के सभी सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क अनिवार्य होगा।
BIS ने अपने नियमों में एक और अहम संशोधन किया है। अब सोने की घड़ियां और पेन को 'कलाकृति' नहीं माना जाएगा। इसका मतलब है कि इन वस्तुओं पर अब हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं होगी। पहले इन्हें कलात्मक वस्तु मानकर हॉलमार्किंग से छूट मिली हुई थी।
सोने के सिक्कों को लेकर भी BIS ने नई परिभाषा दी है। अब केवल 24 कैरेट की पतली शीट से बने सिक्के, जो सरकारी टकसाल या अधिकृत रिफाइनरी द्वारा बनाए जाएंगे, वही "खरा सोना" माना जायेगा। इससे नकली या कम शुद्धता वाले सिक्कों पर रोक लगेगी।
अब 9 कैरेट सोना भी सत्यापित और सुरक्षित होगा। नकली या मिलावटी सोना बेचने वालों पर कार्रवाई संभव होगी। ग्राहकों को उनकी खरीद पर पारदर्शिता और विश्वास मिलेगा। हॉलमार्क देखकर उपभोक्ता सोने की शुद्धता की पहचान कर सकेंगे।
यह कदम सोने की खरीद को न सिर्फ सुरक्षित बनाएगा, बल्कि पूरे आभूषण उद्योग में मानकों की सख्ती और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। अब चाहे 9 कैरेट हो या 24 कैरेट, हॉलमार्किंग के बाद ही होगी भरोसे की पहचान।
