भारत विविधताओं का देश है, यहाँ पर्वत, नदियाँ, जंगल और झरना प्रकृति की खूबसूरती को जीवंत करता है। इन्हीं प्राकृतिक अजूबों में एक है “कुंचिकल जलप्रपात”, जो न सिर्फ भारत का सबसे ऊँचा झरना है, बल्कि एशिया के दूसरे सबसे ऊँचा झरनों में भी शामिल है। यह झरना कर्नाटक राज्य के शिमोगा जिले में स्थित है और यह वाराही नदी से निर्मित होता है।
कुंचिकल जलप्रपात लगभग 455 मीटर (1,493 फीट) की ऊँचाई से गिरता है। यह एक सीढ़ीनुमा झरना है, जिसमें पानी कई चरणों में नीचे गिरता है। यह अनोखा स्वरूप इसे अन्य झरनों से अलग बनाता है। यह जलप्रपात ना केवल ऊँचाई में बेजोड़ है, बल्कि इसकी ध्वनि, दृश्य और आसपास की हरियाली मिलकर एक अलौकिक अनुभव प्रदान करता है।
कुंचिकल जलप्रपात एक दुर्गम और घने जंगलों से घिरे क्षेत्र में स्थित है। खासकर मानसून के मौसम में जब वाराही नदी अपने पूरे वेग में होती है, तब यह झरना अपनी पूरी भव्यता में दिखाई देता है। वर्षा ऋतु में इसका प्रवाह इतना तेज होता है कि आसपास का वातावरण कोहरे और जलकणों से भर जाता है, जिससे पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
कुंचिकल जलप्रपात के निकट ही स्थित है अगुम्बे घाटी, जिसे दक्षिण भारत का 'चेरापूंजी' भी कहा जाता है। यहीं पर भारत का एकमात्र स्थायी वर्षावन अनुसंधान केंद्र भी मौजूद है। यह क्षेत्र जैव विविधता और दुर्लभ वनस्पतियों का खजाना है। वन्यजीव प्रेमियों और प्रकृति वैज्ञानिकों के लिए यह जगह किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है।
कुंचिकल जलप्रपात की ऊँचाई जोग जलप्रपात (253 मीटर) और नोहकलिकाई जलप्रपात (340 मीटर) से कहीं अधिक है। यही कारण है कि यह भारत का सर्वोच्च जलप्रपात माना जाता है। पर्यटक जो झरनों की सुंदरता और रोमांच के शौकीन हैं, उनके लिए यह स्थान स्वर्ग के समान है।
कुंचिकल जलप्रपात सिर्फ एक जलधारा नहीं है, बल्कि प्रकृति की वो अनुपम कृति है जिसे देखने हर वर्ष सैकड़ों सैलानी खिंचे चले आते हैं। यहाँ का शांत वातावरण, हरियाली और जल की गर्जना मन को शांति और ऊर्जा दोनों देती है।
