प्रकृति कभी-कभी ऐसे चमत्कार सामने लाती है जो विज्ञान के जानकारों और प्रकृति प्रेमियों को भी रोमांचित कर देता है। तमिलनाडु के ईरोड जिला के नंबियुर क्षेत्र में स्थित नागमलाई पहाड़ियों के जंगलों में एक ऐसा ही दुर्लभ दृश्य देखने को मिला है एक ‘हंसता हुआ कबूतर’।
इस खास पक्षी को अंग्रेज़ी में 'लाफिंग डव' (Laughing Dove) कहा जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम स्पिलोपेलिया सेनेगलेंसिस (Spilopelia senegalensis) है। यह कबूतर आम तौर पर अफ्रीका, मध्य पूर्व और भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है, लेकिन इस बार इसकी एक बेहद खास किस्म देखी गई है, जिसके पंखों में असामान्य रूप से सफेदी मौजूद है।
पांच जुलाई को प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक शाजन और सुंदरमणिकम नागमलाई क्षेत्र में पक्षियों की निगरानी के लिए निकले थे। तभी उनकी नजर एक छोटे से कबूतर पर पड़ी, जिसकी चाल, चहचहाहट और रंगत कुछ अलग-सी लग रही थी। जब उन्होंने दूरबीन और कैमरे की मदद से उसका गहन अवलोकन किया, तो यह स्पष्ट हुआ कि यह पक्षी आम लाफिंग डव से अलग है। सामान्यतः इन कबूतरों के पहली और दूसरी पंक्ति के पंख गहरे काले होते हैं, लेकिन इस कबूतर के पंखों में साफ-साफ सफेद रंग था।
‘हंसता हुआ कबूतर’ अपनी मधुर, लहरदार आवाज के लिए जाना जाता है जो कि किसी हंसी की तरह गूंजता है। यही वजह है कि इसे 'लाफिंग डव' कहा जाता है।
इसकी चोंच आमतौर पर काला और आंख गहरा भूरा रंग का होता हैं, खोजे गए पक्षी में भी वैसा ही पाया गया है। परन्तु, सफेद पंखों की उपस्थिति इसे और भी अद्वितीय बनाता है। यह एक प्रकार का आंशिक ल्यूसिस्टिज्म (partial leucism) हो सकता है, जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों में रंगद्रव्य (पिगमेंट) की कमी हो जाता है।
तमिलनाडु के नागमलाई जैसे क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है। लेकिन यह खोज यह भी बताता है कि अभी भी प्रकृति के कई रहस्य अनछुए हैं। यह खोज पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करता है। यदि ऐसे दुर्लभ पक्षी अभी भी देखे जा रहे हैं, तो यह संकेत है कि इन क्षेत्रों की जैविक संपदा को बचाना हम सब की जिम्मेदारी है।
‘हंसता हुआ कबूतर’ न केवल एक दुर्लभ जीव है, बल्कि यह एक संदेशवाहक भी है, यह याद दिलाता है कि धरती पर ऐसा अनगिनत सुंदरता है, जिसे देखने, समझने और संरक्षित करने की आवश्यकता है।
