महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के क्रियान्वयन में बिहार के कई जिलों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, तो वहीं कुछ जिलों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। हाल ही में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी की गई रैंकिंग में बक्सर, कैमूर और रोहतास जिलों ने शीर्ष स्थान हासिल कर मिसाल कायम की है। इन जिलों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए विभाग ने संबंधित उप विकास आयुक्तों (डीडीसी) और कर्मियों को बधाई दी है। दूसरी ओर, मधुबनी, खगड़िया, बेगूसराय, अररिया और राजधानी पटना जैसे जिलों के लचर प्रदर्शन पर असंतोष व्यक्त किया गया है।
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मनरेगा के विभिन्न मानकों पर बक्सर जिला 95.7 अंकों के साथ पूरे प्रदेश में अव्वल रहा है। बक्सर की यह उपलब्धि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और योजनाओं के सफल कार्यान्वयन का प्रमाण है। वहीं, कैमूर ने 89 अंक और रोहतास ने 88.34 अंकों के साथ क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया है। इन जिलों के अलावा गया जी (86.56 अंक) और सीवान (85.99 अंक) ने भी शीर्ष पांच में अपनी जगह बनाकर उत्कृष्ट कार्य का प्रदर्शन किया है।
इन जिलों की सफलता के पीछे समय पर काम देना, मानव दिवस का सृजन, अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराना, समय पर मजदूरी का भुगतान और वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण कारकों में बेहतर प्रदर्शन शामिल है।
एक तरफ जहां कुछ जिलों ने बेहतरीन काम किया है, वहीं दूसरी ओर राज्य के पांच जिलों का प्रदर्शन चिंता का विषय बना हुआ है। मधुबनी जिला 62.52 अंकों के साथ रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है। इसके अलावा खगड़िया को 67.48, बेगूसराय को 68.80, अररिया को 69.33 और पटना को 72.29 अंक मिला है। इन जिलों के डीडीसी को कार्यों में तत्काल सुधार लाने और योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने की सख्त हिदायत दी गई है।
मनरेगा आयुक्त, अभिलाषा कुमारी शर्मा ने सभी जिलों को इस संबंध में पत्र जारी कर उनके प्रदर्शन से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि यह रैंकिंग मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों की गहन समीक्षा के बाद तैयार की गई है। इसका उद्देश्य जिलों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद तक पहुंचाना सुनिश्चित करना है।
जिलों की यह रैंकिंग कई महत्वपूर्ण मानकों पर आधारित होती है, जिनमें प्रमुख रूप से खेल के मैदानों का निर्माण, मानव दिवस सृजन, अनुसूचित जाति-जनजाति को काम देने की प्राथमिकता, समय पर भुगतान, वृक्षारोपण और लगाए गए पौधों की जीवित रहने की दर शामिल है। इन सभी कार्यों के लिए कुल सौ अंक निर्धारित किए गए हैं, जिनके आधार पर जिलों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है।
यह रैंकिंग न केवल जिलों के काम का आईना है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ग्रामीण विकास की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए और किन क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि पिछड़े जिले इस रैंकिंग से प्रेरणा लेकर अपने प्रदर्शन में सुधार करेंगे और मनरेगा के उद्देश्यों को साकार करने में सफल होंगे।
