सरकारी कर्मियों की गाड़ियों को मल्टीलेवल पार्किंग में मिलेगी जगह

Jitendra Kumar Sinha
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पटना में ट्रैफिक जाम और अव्यवस्थित पार्किंग से निजात पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मौर्या लोक परिसर में बनी हाइड्रोलिक मल्टीलेवल कार पार्किंग अब आसपास के सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए समर्पित किया जा रहा है।

पटना स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत निर्मित इस अत्याधुनिक पार्किंग सुविधा का उपयोग अभी तक सीमित स्तर पर हो रहा था। लेकिन अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनिमेष कुमार पराशर ने इसके व्यापक उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने मौर्या लोक के आसपास स्थित करीब 40 सरकारी कार्यालयों,जैसे- पासपोर्ट ऑफिस, बैंक, नाबार्ड, वित्तीय संस्थानों एवं अन्य विभागीय दफ्तरों के कर्मचारियों की गाड़ियों के लिए स्लॉट आवंटित करने का निर्णय लिया है।

एमडी अनिमेष कुमार पराशर के अनुसार, सभी संबंधित कार्यालयों से कर्मचारियों की गाड़ियों की सूची मांगी गई है। "फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व" के आधार पर इन गाड़ियों को पार्किंग स्लॉट दिए जाएंगे। इससे ना सिर्फ मौर्या लोक परिसर बल्कि इसके आसपास के व्यस्त क्षेत्रों में जाम की समस्या में भारी कमी आने की संभावना है।

यह मल्टीलेवल पार्किंग एक अत्याधुनिक हाइड्रोलिक रोबोटिक सिस्टम पर आधारित है। इसमें वाहन चालक को केवल ग्राउंड फ्लोर पर अपनी गाड़ी खड़ी करनी होती है। इसके बाद ऑटोमेटेड सिस्टम गाड़ी को ऊपरी फ्लोरों पर पहुंचा देता है। यह प्रणाली समय की बचत के साथ-साथ सीमित स्थान में अधिक गाड़ियों के पार्किंग की सुविधा प्रदान करती है।

पटना स्मार्ट सिटी प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि मल्टीलेवल पार्किंग में स्थान उपलब्ध होते हुए भी कोई व्यक्ति सड़क किनारे या अनाधिकृत रूप से गाड़ी खड़ी करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह कदम पार्किंग व्यवस्था को अनुशासित बनाने और ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से लिया गया है।

यह कदम मौर्या लोक और उसके आसपास के व्यावसायिक तथा सरकारी गतिविधियों के केंद्रों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा। लंबे समय से इस क्षेत्र में पार्किंग की समस्या बनी हुई थी, जिससे आए दिन सड़क जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।

मौर्या लोक की यह मल्टीलेवल पार्किंग व्यवस्था न केवल एक तकनीकी नवाचार का उदाहरण है, बल्कि शहरी जीवन को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक ठोस पहल भी है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो इसे शहर के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जा सकता है, जिससे पटना को एक स्मार्ट सिटी के रूप में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।



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