बिहार अब अंतिम संस्कार की पारंपरिक व्यवस्थाओं को तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल दिशा में बदलने जा रहा है। बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम (बुडको) द्वारा राज्यभर में 21 नये विद्युत शवदाह गृहों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और यह सभी अगस्त से जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इस नई पहल से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अधिक स्वच्छ, तीव्र और सम्मानजनक होगी।
पटना के ऐतिहासिक बांसघाट क्षेत्र में 89.40 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक विद्युत शवदाह गृह तैयार किया जा रहा है, जो न केवल राजधानी के नागरिकों के लिए वरदान होगा बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस शवदाह गृह में अत्याधुनिक मशीनें, शव रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा, प्रतीक्षा कक्ष और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था भी किया जा रहा है।
बुडको ने राज्य के हर क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए शवदाह गृहों का निर्माण उत्तर और दक्षिण बिहार के विभिन्न जिलों में किया है। उत्तर बिहार में छपरा, गोपालगंज, किशनगंज, दरभंगा, सीवान, अररिया, कटिहार, पश्चिमी चंपारण, सहरसा, समस्तीपुर, बेगूसराय और खगड़िया जैसे जिलों में निर्माण अंतिम चरण में है। वहीं, दक्षिण बिहार में जहानाबाद, अरवल, रोहतास, नालंदा, गया, भागलपुर और आरा में भी विद्युत शवदाह गृहों का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
पारंपरिक लकड़ी आधारित दाह-संस्कार की प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली होती है, बल्कि इससे भारी मात्रा में लकड़ी की खपत और धुआं उत्सर्जित होता है। विद्युत शवदाह गृह इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। इससे प्रदूषण कम होगा, लकड़ी की खपत बचेगी और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी कुछ ही घंटों में संपन्न हो सकेगा।
बुडको की योजना के तहत राज्य में कुल 40 विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने हैं, जिनमें से 21 नये विद्युत शवदाह गृह अगस्त महीने में शुरू हो जाएगा। शेष बचे 19 नये विद्युत शवदाह गृह पर भी कार्य तेजी से जारी है। येह सभी केन्द्र आधुनिक उपकरणों और स्वच्छता मानकों से युक्त होगा।
