बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने पटना में एक विशाल रोजगार मेले के आयोजन की घोषणा की है। यह मेला 19 जुलाई को ज्ञान भवन, पटना में आयोजित होगा और इसका नाम रखा गया है "महात्मा रोजगार मेला"। कांग्रेस का दावा है कि इस मेले में देशभर की 120 से अधिक कंपनियाँ भाग लेंगी और हजारों युवाओं को रोजगार के मौके दिए जाएंगे।
मेले में भाग लेने के लिए युवाओं को सिर्फ एक मिस्ड कॉल करना होगा या फिर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन करके रजिस्ट्रेशन करना होगा। कांग्रेस के अनुसार, इसमें 12वीं पास, ग्रेजुएट, इंजीनियरिंग, आईटी और अन्य डिग्रीधारी युवा भाग ले सकते हैं। यह मेला कांग्रेस के उस एजेंडे का हिस्सा है, जिसमें वह खुद को युवाओं की पार्टी और बेरोजगारी के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी के तौर पर पेश करना चाहती है।
इस पहल के पीछे कांग्रेस की युवा इकाई भी सक्रिय है। इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब ने इस आयोजन को दिल्ली और जयपुर के सफल आयोजनों की अगली कड़ी बताया। उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं को लगातार बेरोजगारी, पलायन और अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है, और यह रोजगार मेला उनके लिए सम्मानजनक नौकरियों की दिशा में एक ठोस प्रयास है। उन्होंने नीतीश सरकार और एनडीए पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन रोजगार देने में पूरी तरह विफल रहा है और यह मेला कांग्रेस की वैकल्पिक सोच को दर्शाता है।
इस पहल को महागठबंधन के अन्य घटकों का भी समर्थन मिला है। आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव और कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने इस कार्यक्रम को तेजस्वी यादव के "नौकरी मिलेगी" अभियान से जोड़ते हुए कहा कि यह महागठबंधन का साझा एजेंडा है। उन्होंने कहा कि फसल उगाना ज़रूरी है, बीज किसने बोया यह मायने नहीं रखता — यानी यह पहल चाहे कांग्रेस की हो, लेकिन इसका लक्ष्य है युवाओं को रोजगार देना।
यह मेला चुनावी दृष्टिकोण से भी काफी अहम माना जा रहा है। बिहार में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहा है और हर चुनाव में यह युवाओं की प्राथमिक चिंता के रूप में उभरता है। कांग्रेस इस बार इस मुद्दे पर सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, बल्कि ज़मीनी कदम उठाकर माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। अगर यह मेला सफल होता है और युवाओं को वाकई नौकरी मिलती है, तो इससे कांग्रेस को चुनावी लाभ मिल सकता है।
यह स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बार सिर्फ घोषणाओं पर भरोसा नहीं कर रही, बल्कि रोजगार जैसे गंभीर मुद्दे पर प्रत्यक्ष हस्तक्षेप कर रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 19 जुलाई को पटना के इस रोजगार मेले में कितने युवा पहुंचते हैं और उन्हें क्या वाकई अवसर मिलता है या यह महज एक चुनावी स्टंट बनकर रह जाता है।
