बिहार की राजधानी पटना को शीघ्र ही एक नई सांस्कृतिक और व्यावसायिक पहचान मिलने जा रहा है। गांधी मैदान स्थित ऐतिहासिक सभ्यता द्वार के पश्चिमी हिस्से में एक अत्याधुनिक तीन मंजिला हाट का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। लगभग 48.96 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह हाट न केवल पारंपरिक कलाओं का केंद्र बनेगा, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से भी लैस होगा।
इस बहुउद्देश्यीय हाट को एक भव्य तीन मंजिला इम्पोरियम के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें मिथिला हाट की तर्ज पर बिहार की पारंपरिक कलाओं को नया मंच मिलेगा। विशेष रूप से मधुबनी पेंटिंग, भागलपुर की मंजूषा कला, पटना की टिकुली पेंटिंग, और सिक्की शिल्प जैसी लोक कलाएं यहाँ प्रदर्शित और विक्रय के लिए उपलब्ध होगी।
यह हाट केवल सांस्कृतिक केंद्र नहीं, बल्कि एक पूर्ण आधुनिक व्यावसायिक परिसर भी होगा। इसमें होगा अंडरग्राउंड और सर्फेस पार्किंग की सुविधाएं, जिससे ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी। होंगे दो रेस्टोरेंट, जो स्थानीय व्यंजन से लेकर आधुनिक फूड आइटम्स तक परोसेंगे। बच्चों और युवाओं के लिए गेम जोन, जिससे यह परिवारों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।फायर फाइटिंग सिस्टम और फायर अलार्म, जो किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहेगा। लिफ्ट, जल टंकी, सीसीटीवी निगरानी, जिससे सुरक्षा और सुविधा दोनों सुनिश्चित किया जायेगा। सोलर पावर जेनेरेशन सिस्टम और स्ट्रीट लाइट, जिससे यह परिसर ऊर्जा दक्ष और पर्यावरण अनुकूल होगा।
यह हाट न केवल स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा, बल्कि पटना आने वाले पर्यटकों को भी बिहार की परंपराओं से रूबरू कराएगा। इसका स्थान सभ्यता द्वार के निकट होने के कारण यह पटना के सांस्कृतिक पर्यटन के नक्शे पर एक नया ठिकाना बन जाएगा।
राज्य सरकार इस परियोजना को स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक बड़ा कदम मान रही है। इससे स्थानीय हस्तशिल्प उद्योग को न केवल बाजार मिलेगा, बल्कि युवा उद्यमियों को भी स्वरोजगार का अवसर प्राप्त होगा।
सभ्यता द्वार के पास बन रहा यह अत्याधुनिक हाट एक ओर बिहार की गौरवशाली परंपरा को सहेजेगा, तो दूसरी ओर आधुनिक बाजार की सुविधाओं से लोगों को जोड़ेगा। यह पटना के शहरी परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
