डोप टेस्ट में फंसा - भारतीय कुश्ती की नई उम्मीद - रितिका हुड्डा

Jitendra Kumar Sinha
0



कुश्ती: रितिका हुड्डा ओलंपिक में पर्दापण करेंगी

भारतीय महिला कुश्ती को उस समय बड़ा झटका लगा जब देश की पहली अंडर-23 विश्व चैंपियन महिला पहलवान रितिका हुड्डा को राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) ने डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। इस मामले ने भारतीय कुश्ती जगत में खलबली मचा दिया है, क्योंकि रितिका को देश की सबसे होनहार महिला पहलवानों में गिना जाता रहा है।

रितिका का डोप सैंपल 15 मार्च 2025 को लिया गया था, जब वह एशियन चैंपियनशिप ट्रायल्स में हिस्सा ले रही थीं। जांच रिपोर्ट में प्रतिबंधित पदार्थ के इस्तेमाल की पुष्टि हुई। इसके बाद नाडा ने उन्हें अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। अब उनके करियर पर चार साल के प्रतिबंध की तलवार लटक रही है।

हरियाणा की रहने वाली 22 वर्षीय रितिका हुड्डा ने 2022 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा था। वह ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं। उनकी इस उपलब्धि को भारतीय कुश्ती में एक नई क्रांति के रूप में देखा गया। तकनीक, ताकत और तेजी के मेल से रितिका को आने वाले ओलंपिक खेलों की संभावित पदक विजेता माना जा रहा था।

डोपिंग के इस मामले ने भारतीय खेल संस्थानों और खिलाड़ियों के सपोर्ट सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है। क्या खिलाड़ियों को पर्याप्त जानकारी दिया जा रहा है? क्या उन्हें पोषण व सप्लीमेंट्स के सही दिशा-निर्देश मिल रहा हैं? इन सभी सवालों का जवाब अब खेल मंत्रालय और रेसलिंग फेडरेशन को देना होगा।

रितिका और उनके कोचिंग कैंप से जुड़े लोगों का कहना है कि उन्हें किसी प्रकार की प्रतिबंधित दवा के इस्तेमाल की जानकारी नहीं थी। संभावना है कि यह अनजाने में हुई गलती हो, जो पोषण सप्लीमेंट्स के कारण हो सकता है। लेकिन नाडा के नियमों के अनुसार, खिलाड़ी ही अपने शरीर में गए किसी भी पदार्थ के लिए पूरी तरह उत्तरदायी होता है।

अब रितिका के पास अपील का विकल्प है, लेकिन अगर डोपिंग की पुष्टि होती है, तो उन्हें चार साल के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है। इससे उनका करियर लगभग खत्म हो सकता है।

इस डोपिंग प्रकरण से न केवल रितिका का व्यक्तिगत करियर प्रभावित होगा, बल्कि भारतीय महिला कुश्ती के मनोबल पर भी असर पड़ सकता है। यह घटना साफ संकेत देती है कि डोपिंग के खिलाफ लड़ाई अभी अधूरी है, और खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता भी दी जानी चाहिए।

रितिका हुड्डा का मामला भारतीय खेलों के लिए एक चेतावनी है। खिलाड़ियों की सफलता सिर्फ पदकों से नहीं, बल्कि उनकी नैतिकता और ईमानदारी से भी तय होती है। उम्मीद है कि रितिका इस कठिन दौर से उबरेगी और युवा खिलाड़ियों के लिए एक नई मिसाल पेश करेंगी। 



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top