लोकतंत्र की मजबूती की नींव ईमानदार और अद्यतन मतदाता सूची पर टिकी होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पटना जिला में भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत “गणना फॉर्म का वोटर लिस्ट से मिलान” युद्धस्तर पर चल रहा है। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) मतदाता सत्यापन की इस अहम प्रक्रिया में दिन-रात जुटे हुए हैं।
जिला में कुल 50.47 लाख पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से अब तक 45.86 लाख मतदाताओं का गणना फॉर्म के आधार पर सफल सत्यापन किया जा चुका है। यानि कुल मतदाताओं का लगभग 90% सत्यापन पूरा हो गया है। शेष लगभग एक लाख मतदाताओं का सत्यापन कार्य अंतिम चरण में है।
पुनरीक्षण अभियान के दौरान लगभग तीन लाख 818 मतदाता ऐसे पाए गए हैं जो या तो मृत हैं, स्थानांतरित हो चुके हैं या फिर लंबे समय से अनुपस्थित हैं। ऐसे मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया की जा रही है, ताकि मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और अद्यतन बन सके।
गुरुवार को कलेक्ट्रेट परिसर का नजारा अलग ही था। अलग-अलग फ्लोर पर बीएलओ अपने-अपने क्षेत्रों से जमा किए गए गणना फॉर्म को मतदाता सूची से मिलाकर जांच में व्यस्त दिखे। कहीं कंप्यूटर पर डेटा का मिलान हो रहा था तो कहीं मैनुअल दस्तावेजों की जांच की जा रही थी। बीएलओ द्वारा यह कार्य न केवल वोटर लिस्ट की शुद्धता सुनिश्चित करता है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी का भी अहम हिस्सा है।
इस विशेष अभियान में वोटरों की सक्रिय भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। अधिकांश मतदाताओं ने समय पर अपने विवरण सही करने के लिए गणना फॉर्म भरे और आवश्यक दस्तावेज बीएलओ को सौंपे। इस जनसहयोग के बिना इतनी बड़ी संख्या में सत्यापन कार्य संभव नहीं होता।
इस पुनरीक्षण अभियान से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग और प्रशासन मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीएलओ की मेहनत और मतदाताओं की जागरूकता से पटना जिला में चुनावी पारदर्शिता को नया आयाम मिला है। आने वाले चुनावों में मतदाता सूची की शुद्धता से न केवल निष्पक्ष मतदान संभव होगा बल्कि लोकतंत्र की जड़ें और भी मजबूत होंगी।
