भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम “तेजस” को अब नई उड़ान मिलने जा रहा है। अमरीकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) ने तेजस मार्क-1 जेट के लिए F-404 IN20 इंजनों की डिलीवरी तेज कर दी है। इस कड़ी में जुलाई में दूसरा इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपा गया है, जबकि पहला इंजन अप्रैल में मिल चुका है। रक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, अब मार्च 2026 तक हर महीने दो इंजन भारत भेजा जाएगा। इससे “तेजस” जेट के उत्पादन में काफी तेजी आएगा और भारतीय वायुसेना की सामरिक क्षमता में मजबूती आएगी।
भारत ने वर्ष 2021 में जनरल इलेक्ट्रिक के साथ 99 इंजनों की आपूर्ति के लिए 716 मिलियन डॉलर (करीब 5900 करोड़ रुपये) का करार किया था। यह करार भारतीय वायुसेना के “तेजस” मार्क-1ए कार्यक्रम को गति देने के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) में आई रुकावटों के कारण डिलीवरी में देरी हुई। इसका असर HAL के उत्पादन शेड्यूल पर भी पड़ा और कंपनी को आलोचना झेलनी पड़ी। अब जब डिलीवरी नियमित हो रही है, तो लड़ाकू विमानों का निर्माण पुनः रफ्तार पकड़ चुका है।
“तेजस” न केवल भारत का पहला पूर्ण रूप से स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (LCA) है, बल्कि यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों का प्रतीक भी बन चुका है। “तेजस” का निर्माण HAL द्वारा किया जा रहा है, और इसमें अत्याधुनिक एवियोनिक्स, ग्लास कॉकपिट, मल्टीरोल क्षमता जैसी विशेषताएं शामिल हैं।
“तेजस” को अब तक नौसेना और वायुसेना दोनों प्लेटफॉर्म के लिए तैयार किया गया है। वायुसेना पहले ही 123 “तेजस” विमान की मांग कर चुका है, और अब 352 विमानों की दीर्घकालिक योजना बनाई जा रही है। इसमें मार्क-1 और भविष्य के उन्नत वैरिएंट मार्क-2 शामिल हैं।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2026-27 तक हर साल 30 “तेजस” विमान तैयार किया जाए। इसके लिए HAL अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है। नई इंजन डिलीवरी समय पर होती रही तो यह लक्ष्य वास्तविकता में बदला जा सकता है।
इससे न केवल भारत की सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी होगी, बल्कि विमानन तकनीक में आत्मनिर्भरता और निर्यात की संभावनाएं भी खुलेगी। कई देश “तेजस” में दिलचस्पी दिखा चुका है, जिससे आने वाले वर्षों में यह भारतीय रक्षा निर्यात का प्रमुख चेहरा बन सकता है।
तेजस इंजन डिलीवरी में आई तेजी भारत के लिए रणनीतिक उपलब्धि है। इससे HAL को उत्पादन के मोर्चे पर राहत मिलेगी और भारतीय वायुसेना की ताकत को समय पर बढ़ाया जा सकेगा। अब “तेजस” सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भारत की रक्षा तकनीक और स्वदेशी निर्माण क्षमता का प्रतीक बन गया है।
