जहां एक ओर मध्य पूर्व इस समय राजनीतिक और सैन्य तनाव की गिरफ्त में है, वहीं दूसरी ओर यरुशलम के ऐतिहासिक जाफा गेट परिसर में शांति, स्वास्थ्य और संतुलन का संदेश लेकर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। देर से ही सही, लेकिन इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि योग सीमाओं से परे जाकर मानवता को जोड़ने वाला एक साधन है।
भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष इस्राइल और ईरान के बीच बढ़े हुए तनाव और सुरक्षा कारणों के चलते इस्राइल में यह आयोजन टाल दिया गया था। हालांकि अब माहौल थोड़ा शांत होते ही यरुशलम के जाफा गेट परिसर में रविवार को इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत भारत के इस्राइल में राजदूत जेपी सिंह के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा, "ऐसे तनावपूर्ण समय में योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति का भी माध्यम बनता है। यह केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।"
जेपी सिंह ने आगे कहा कि जब चारों ओर अशांति हो, तब भीतर की शांति खोजना सबसे आवश्यक हो जाता है, और योग हमें यही दिशा दिखाता है।
कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ इस्राइली युवाओं, प्रवासी भारतीयों और योग प्रेमियों की अच्छी-खासी भागीदारी रही। करीब 200 लोग इस आयोजन में शामिल हुए। सभी ने मिलकर सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से योग की अनुभूति की।
यरुशलम के ऐतिहासिक जाफा गेट परिसर में योग अभ्यास करना अपने आप में एक विशेष अनुभव रहा। धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के इस स्थल पर जब लोगों ने एक साथ मिलकर योग किया, तो वह दृश्य एकता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर था।
यह आयोजन भारत और इस्राइल के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक रिश्तों को भी नई ऊर्जा देने वाला रहा। योग के माध्यम से भारत की प्राचीन परंपरा को वैश्विक मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया गया।
जहां एक ओर दुनिया संघर्षों और तनावों से गुजर रही है, वहीं योग जैसे साधन वैश्विक शांति और भाईचारे के संदेश वाहक बनकर उभर रहा है। यरुशलम में हुए इस योग आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि योग न तो धर्म देखता है, न ही सीमाएं। यह मानवता की भलाई का मार्ग है, और यही इसकी सबसे बड़ी शक्ति है।
