तमिलनाडु के कुंभकोणम क्षेत्र के पास स्थित अग्नेश्वरन मंदिर एक ऐसा तीर्थ स्थल है जो धार्मिकता, ज्योतिष और अध्यात्म का अनोखा संगम है। यह मंदिर शुक्र ग्रह को समर्पित है, जिसे वैदिक ज्योतिष में प्रेम, सौंदर्य, विवाह, कला, संगीत, वैभव और जीवन की भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक माना जाता है। यह स्थान सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि उन असंख्य श्रद्धालुओं की आखिरी उम्मीद है जो जीवन में प्रेमहीनता, वैवाहिक असफलता या आर्थिक अस्थिरता से परेशान हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अग्निदेव ने यहीं भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया था, जिससे उन्हें अग्नेश्वर नाम मिला – अग्नि के ईश्वर। कहा जाता है कि शुक्राचार्य ने भी यहीं कठोर तप कर शिव से संजीवनी विद्या प्राप्त की थी। यही वजह है कि यह मंदिर शुक्र ग्रह की बाधाओं को शांत करने के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव ‘अग्नेश्वरर’ के रूप में विराजमान हैं और माता पार्वती को ‘करुंदार कुजलाई अम्मन’ के रूप में पूजा जाता है। शुक्र देव की मूर्ति एक विशेष स्थान पर स्थित है जहाँ शुक्रवार को विशेष पूजन होता है।
यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली का बेहतरीन उदाहरण है। इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी, स्तंभों की बनावट और गर्भगृह की शांति इस स्थान को एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है। श्रद्धालु यहाँ विशेष रूप से शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनकर आते हैं, शुक्र ग्रह की शांति के लिए व्रत रखते हैं, चावल, सफेद फूल, चंदन और सुगंधित तेल अर्पित करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर या अशुभ हो, वे जीवन में प्रेम, विवाह, रिश्तों, कला या धन की समस्याओं से जूझते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह मंदिर विशेष रूप से प्रभावी है। शुक्र ग्रह की कृपा पाने के लिए यहां पूजा कराना, दीप जलाना और शुक्र के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
यह मंदिर कुंभकोणम से केवल छह किलोमीटर दूर कांजी नामक स्थान पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन कुंभकोणम है और नजदीकी हवाई अड्डा तंजावुर या त्रिची है। यहाँ तक पहुँचने के लिए स्थानीय बसें, टैक्सी और ऑटो रिक्शा आसानी से उपलब्ध हैं।
अग्नेश्वरन मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह स्थान उस मानसिक और भावनात्मक शांति का प्रतीक है जिसकी आज की दौड़-भाग भरी दुनिया में सबसे अधिक ज़रूरत है। शुक्र की कृपा से जुड़ी यह दिव्यता जीवन को प्रेम, संतुलन और सौंदर्य से भर देती है। तमिलनाडु के इस अलौकिक मंदिर की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ एक ज्योतिषीय समाधान भी है।
जब जीवन से रस खत्म हो रहा हो, रिश्ते टूटने की कगार पर हों, कला और रचनात्मकता दब रही हो, तो शुक्र ही वह शक्ति है जो सब कुछ फिर से सुंदर बना सकता है — और अग्नेश्वरन मंदिर वह द्वार है जहाँ यह शक्ति जागती है।
