एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए युवाओं से अपील की कि वे रील्स देखना छोड़ें और अख़बार पढ़ना शुरू करें। उनका कहना था कि आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर रील्स में उलझी हुई है, जिससे उनका समय और भविष्य दोनों बर्बाद हो रहा है। ओवैसी ने कहा कि रील्स से कोई नेता, डॉक्टर या वैज्ञानिक नहीं बन सकता, बल्कि ये मस्तिष्क को बर्बाद करती हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपनी सोच विकसित करें, देश-दुनिया की ख़बरें पढ़ें और ज़मीनी सच्चाई को समझने की कोशिश करें।
अपने भाषण में ओवैसी ने बिहार में चल रहे विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision) को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह अभियान एक तरह से गुप्त एनआरसी है, जो नागरिकों की पहचान को चुनौती देने की साजिश है। उन्होंने पूछा कि जब बूथ लेवल अधिकारी (BLO) आपके दरवाजे पर दस्तक देगा, तब क्या आप रील देख रहे होंगे या उसे जवाब देने के लिए तैयार होंगे? उन्होंने चेताया कि यह प्रक्रिया उन लोगों को निशाना बना रही है जो गरीब, वंचित या सीमावर्ती इलाकों से आते हैं, और अगर लोग सतर्क नहीं रहे तो उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।
ओवैसी ने चुनाव आयोग पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आयोग यह कैसे तय कर सकता है कि कौन नागरिक है और कौन नहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग को संविधान ने यह अधिकार दिया है कि वह किसी की नागरिकता पर सवाल उठा सके? उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता से दूर है और आयोग ने अब तक यह नहीं बताया कि 2003 में जब इसी तरह की प्रक्रिया हुई थी, तब कितने कथित विदेशी नागरिकों की पहचान की गई थी। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग इस संबंध में आंकड़े सार्वजनिक करे।
ओवैसी ने यह भी कहा कि यह अभियान इतनी तेज़ी से चलाया जा रहा है कि करोड़ों लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट सकते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि एक महीने में इतनी बड़ी प्रक्रिया कैसे पूरी की जा सकती है। उनका मानना है कि यह हड़बड़ी जानबूझकर की जा रही है ताकि कमजोर वर्ग के वोट कट जाएं और चुनावी समीकरण बदले जा सकें। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने दस्तावेज़ तैयार रखें, जागरूक रहें और हर नागरिक को अपना वोटिंग अधिकार सुरक्षित रखने के लिए सतर्क रहना होगा।
अंत में उन्होंने दो टूक कहा कि युवाओं को अब अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सिर्फ सोशल मीडिया पर नाच-गाने की रील्स देखना या वायरल ट्रेंड का हिस्सा बनना ही ज़िंदगी नहीं है। अगर वे आज भी नहीं जागे तो कल उनके अधिकारों पर कोई और कब्जा कर लेगा। ओवैसी की यह अपील न सिर्फ एक राजनीतिक बयान थी, बल्कि आज के युवा वर्ग को जागरूक करने की एक सशक्त कोशिश थी।
