बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत अब तक कुल 7.89 करोड़ में से 7.57 करोड़ मतदाताओं का सत्यापन हो चुका है, जो कि लगभग 95.92% है। शेष बचे 32.23 लाख मतदाताओं का सत्यापन आगामी छह दिनों के भीतर करना है। यह काम बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLOs) के माध्यम से घर-घर जाकर किया जा रहा है। BLOs अब तक तीन बार दौरा कर चुके हैं और चौथी बार अंतिम प्रयास के रूप में फिर से दौरा कर रहे हैं, ताकि सभी पात्र मतदाता सूची में सम्मिलित हो सकें।
एक अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद जिनका नाम छूट गया हो, गलत नाम जुड़ गया हो, या किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, वे 30 अगस्त तक दावा या आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। इस अभियान के तहत शहरी क्षेत्रों के 5,683 वार्डों में विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं, ताकि जो मतदाता अस्थायी रूप से बाहर हैं या जिनका स्थायी निवास पता बदल गया है, उन्हें भी सूची में सम्मिलित किया जा सके।
यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान बिहार में 2003 के बाद पहली बार हो रहा है। इसकी शुरुआत 24 जून से हुई थी और इसे अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले पूरा करना अनिवार्य है। इस अभियान को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। कुछ नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं को सूची से बाहर करने का प्रयास है और इसे NRC जैसी कवायद के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य सभी योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करना है।
अब चुनाव आयोग के सामने चुनौती है कि वह अगले छह दिनों में शेष 32 लाख से अधिक मतदाताओं का सत्यापन कर अभियान को समय पर पूरा करे, ताकि मतदाता सूची त्रुटिरहित और व्यापक हो सके।
