बिहार की राजनीति में जुबानी जंग तेज होती जा रही है। अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान पर करारा तंज कसते हुए कहा कि आखिर उन्हें बार-बार खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "हनुमान" बताने की क्या जरूरत थी? क्या मजबूरी थी जो उन्हें इतना झुकना पड़ा?
तेजस्वी ने कहा कि चिराग के पिता रामविलास पासवान की तस्वीरें पार्टी ऑफिस से हटाई गईं, उन्हें राजनीतिक रूप से दरकिनार किया गया, उनकी पार्टी को तोड़ा गया, लेकिन इसके बावजूद चिराग ने केंद्र की एनडीए सरकार का साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अपने ही अपमानित हों, तब भी किसी नेता को “हनुमान” बनकर रहना पड़े, तो उसकी वजह क्या है?
तेजस्वी ने चिराग के उस बयान पर भी चुटकी ली जिसमें उन्होंने बिहार में बढ़ते अपराध पर चिंता जताई थी। तेजस्वी ने कहा कि केवल चिंता जताने से कुछ नहीं होता, सच्चाई का साथ देना चाहिए। उन्होंने चिराग पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर हिम्मत है, तो सरकार से सवाल करो, गठबंधन छोड़ो। अफसोस जताने से कुछ नहीं बदलता।
तेजस्वी ने कहा कि चिराग पासवान के पास कोई स्पष्ट विजन नहीं है, सिर्फ इधर-उधर बोलने से नेता नहीं बना जाता। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चिराग को मुख्यमंत्री बनना है, तो खुलकर बात करें, केवल सोशल मीडिया और बयानबाजी से कुछ नहीं होगा।
तेजस्वी यादव का ये बयान स्पष्ट संकेत देता है कि आगामी बिहार चुनावों में राजनीतिक बयानबाजी और गठबंधन की राजनीति और तेज होगी। चिराग पासवान को अब यह तय करना होगा कि वे “हनुमान” बने रहेंगे या एक स्वतंत्र और दृढ़ नेता की भूमिका में आएंगे।
