बेंगलुरु का शिवोहम मंदिर: भक्ति, ध्यान और आत्मबोध का अद्भुत संगम

Jitendra Kumar Sinha
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बेंगलुरु के मुरुगेशपाल्या, ओल्ड एयरपोर्ट रोड पर स्थित शिवोहम शिव मंदिर एक आध्यात्मिक तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जहां शिव भक्ति और ध्यान का गहरा संगम होता है। यह मंदिर न केवल अपने विशाल शिव प्रतिमा के कारण जाना जाता है, बल्कि यहां आने वाले भक्तों को एक अनूठा आत्मिक अनुभव भी प्राप्त होता है। यह मंदिर 1995 में स्थापित हुआ था और इसका उद्घाटन श्री श्री शंकराचार्य द्वारा किया गया था। उस समय इसे बस "शिव मंदिर" के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2016 में इसे एक नए दृष्टिकोण और उद्देश्य के साथ "शिवोहम शिव मंदिर" नाम दिया गया, जिसका अर्थ है – ‘मैं शिव हूं’। यह नाम आत्मबोध और अद्वैत वेदांत के दर्शन को दर्शाता है।


इस मंदिर में 65 फीट ऊंची भगवान शिव की बैठी हुई मूर्ति है, जो ध्यान मुद्रा में विराजमान है। यह प्रतिमा न केवल वास्तुकला की दृष्टि से चमत्कारी है, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक प्रभाव भी छोड़ती है। श्रद्धालु यहाँ परंपरागत पूजन के साथ-साथ ध्यान और योग के लिए भी आते हैं। मंदिर परिसर में एक कृत्रिम गुफा भी है, जिसे अमरनाथ गुफा की तरह बनाया गया है, जहां बर्फ से ढके शिवलिंग के दर्शन होते हैं। इसके अलावा यहाँ बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन की भी व्यवस्था है, जिससे भक्तों को भारत के प्रमुख शिवस्थलों की अनुभूति एक ही स्थान पर हो सके।


शिवोहम मंदिर का उद्देश्य केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मबोध और चेतना की यात्रा को प्रोत्साहित करता है। यहाँ आने वाले भक्तों को विशेष ध्यान और साधना सत्रों में भाग लेने का अवसर मिलता है। हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष आयोजन होता है, जिसमें हज़ारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। भजन, कीर्तन, रुद्राभिषेक और दीपोत्सव के माध्यम से यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।


यह मंदिर आध्यात्मिकता और आधुनिकता का मेल है, जहां श्रद्धा, भक्ति, दर्शन और आत्मचिंतन – सब कुछ एक साथ अनुभव किया जा सकता है। भीड़-भाड़ से दूर, लेकिन शहर के भीतर स्थित यह मंदिर शांति की तलाश करने वाले हर व्यक्ति के लिए एक पवित्र स्थल है। बेंगलुरु आने वाले पर्यटकों और भक्तों के लिए यह मंदिर एक अवश्य दर्शन योग्य स्थान है, जो केवल भगवान शिव की पूजा तक सीमित नहीं बल्कि ‘स्व’ की खोज की ओर एक यात्रा भी है।

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