सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को “लैंड फॉर जॉब्स” घोटाले में बड़ा झटका दिया है। लालू यादव ने याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई पहले से दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए वह ट्रायल पर रोक नहीं लगाएगा। हालांकि, लालू यादव को एक आंशिक राहत जरूर दी गई—उन्हें ट्रायल कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी गई है। कोर्ट ने उनकी उम्र और सार्वजनिक स्थिति को देखते हुए यह राहत दी।
यह मामला उस समय का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे, यानी 2004 से 2009 के बीच। आरोप है कि रेलवे में ग्रुप डी की नौकरियां दिलाने के बदले कुछ लोगों से जमीन ली गई थी। इन जमीनों को कथित तौर पर लालू यादव और उनके परिवार के नाम पर ट्रांसफर किया गया। इस सिलसिले में CBI ने 2022 में एफआईआर दर्ज की थी और बाद में चार्जशीट दाखिल की गई।
लालू यादव ने अपनी याचिका में यह भी तर्क दिया था कि CBI ने धारा 17A के तहत ज़रूरी अनुमति के बिना जांच शुरू की, जिससे यह पूरी प्रक्रिया अवैध बन जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि इतने वर्षों बाद आरोप तय करना उनके अधिकारों का उल्लंघन है और पूरा मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को फिलहाल खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में मामला पहले से विचाराधीन है, इसलिए वहीं से फैसला आए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को यह निर्देश जरूर दिया कि वह इस याचिका पर तेज़ी से सुनवाई करे। अब इस केस में अगली सुनवाई 12 अगस्त 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट में होगी। कुल मिलाकर, लालू यादव को ट्रायल कोर्ट में पेशी से राहत मिली है, लेकिन मुकदमा अपनी गति से आगे बढ़ेगा और उन्हें कानूनी लड़ाई जारी रखनी होगी।
