उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर केवल एक शिवालय नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की ऊर्जा का स्रोत है। यही वह स्थल है जहां जीवन और मृत्यु का भेद मिटता है, जहां आत्मा को ब्रह्म से मिलाने वाला द्वार खुलता है। और इसी परम पवित्र धाम के कार्तिकेय मंडपम में जब महामृत्युंजय मंत्र का जाप होता है, तो वह केवल ध्वनि नहीं होती—वह चेतना की ऊंचाई, मृत्यु पर विजय और आत्मा की मुक्ति का घोष होता है।
महामृत्युंजय मंत्र स्वयं भगवान शिव का वरदान है। इसे "त्र्यंबकम् मंत्र" भी कहा जाता है, जो मृत्यु, रोग और भय से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। लेकिन जब यह जाप महाकाल की नगरी में, और विशेष रूप से कार्तिकेय मंडपम जैसे शक्ति-संपन्न स्थान पर किया जाता है, तो उसकी उर्जा दस गुना तक बढ़ जाती है।
यह मंडपम, जिसे भगवान कार्तिकेय (शिवपुत्र) की शक्ति से अभिमंत्रित माना जाता है, एक ऐसा केंद्र है जहां साधक का मन स्थिर होता है, ध्यान गहरा होता है और मंत्र की शक्ति हर कोशिका में प्रवेश करती है। यहां बैठकर महामृत्युंजय जाप करने वाला व्यक्ति केवल अपने जीवन को ही नहीं, अपने पूरे वंश, पितरों और परिवार की उर्जा को भी शुद्ध कर देता है।
श्रद्धालु मानते हैं कि इस मंडप में महामृत्युंजय जाप से:
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असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है,
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दुर्घटनाओं का संकट टलता है,
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मानसिक और आध्यात्मिक बल में अद्वितीय वृद्धि होती है,
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और मृत्यु के भय का अंत होता है।
यह जाप महाकाल की छाया में होता है, उस स्थान पर जहां स्वयं काल भी रुक जाता है। इसलिए इसका महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, ज्योतिषीय और तांत्रिक दृष्टि से भी अमूल्य माना गया है।
यहां 108 बार, 1008 बार, या 1.25 लाख मंत्र जाप का अनुष्ठान कराया जाता है—और भक्त अनुभव करते हैं कि जैसे हर उच्चारित शब्द उनके भीतर एक नया जीवन भर रहा है।
आज जब दुनिया भाग रही है, बीमारियाँ बढ़ रही हैं, मानसिक तनाव चरम पर है—ऐसे में महाकाल की गोद में बैठकर महामृत्युंजय जाप, विशेष रूप से कार्तिकेय मंडपम में, एक ऐसी अंतिम शरण बन जाती है जहां व्यक्ति शरीर से नहीं, आत्मा से स्वस्थ होता है।
