बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर तेजस्वी यादव ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका उद्देश्य गरीबों और प्रवासियों को मतदान से वंचित करना है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ नहीं है और चुनाव से ठीक पहले इस प्रक्रिया की शुरुआत संदेह पैदा करती है।
तेजस्वी के सवालों और आरोपों पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भावुक होते हुए कहा कि जब तेजस्वी छोटे थे, तब उनके माता-पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार में कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में बिहार में केवल डर, अपराध और अराजकता थी। नीतीश ने अपने शासन की तुलना करते हुए दावा किया कि उन्होंने बिहार को विकास के रास्ते पर लाने का काम किया है और अब बजट से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे तक में भारी प्रगति हुई है।
नीतीश कुमार ने तेजस्वी को ‘बच्चा’ कहते हुए कहा कि उन्हें इन मुद्दों की गहराई का अंदाजा नहीं है और वे सिर्फ राजनीति करने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर उन्हें चुनाव लड़ना है तो लड़ें, लेकिन गलत जानकारी के आधार पर जनता को भ्रमित न करें।
वहीं, सदन से बाहर आते हुए तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री बहस की मूल बातों से भटक गए और उन्होंने सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार रिमोट कंट्रोल से चलाई जा रही है और अहम फैसले दिल्ली से निर्देश लेकर लिए जा रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से बिहार की सियासत में गर्मी आ गई है। विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तीखा टकराव अब चुनावी रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकता है। विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे पर घमासान तेज होता जा रहा है।
