तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर से बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि वे 2025 का विधानसभा चुनाव महुआ सीट से लड़ेंगे, चाहे उन्हें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से टिकट मिले या नहीं। तेज प्रताप ने कहा कि अगर पार्टी टिकट नहीं देती, तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे। यह बयान उन्होंने अपनी नई राजनीतिक टीम ‘टीम तेज प्रताप’ की घोषणा के साथ दिया। तेज प्रताप का यह फैसला साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि वे अब आरजेडी से अलग अपनी राजनीतिक पहचान स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं।
तेज प्रताप यादव 2015 में महुआ सीट से विधायक चुने गए थे और स्वास्थ्य मंत्री भी बने थे। उन्होंने दावा किया कि महुआ के विकास के लिए उन्होंने कई काम किए, जैसे मेडिकल कॉलेज की स्थापना, सड़क निर्माण और एंबुलेंस सेवा की शुरुआत। उनके अनुसार, जनता आज भी उन्हें चाहती है और वे महुआ से ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने महुआ को नहीं छोड़ा, लेकिन 2020 में पार्टी ने वहां से उन्हें टिकट नहीं दिया था, जिसके चलते वे हसनपुर से चुनाव लड़े थे।
हाल ही में तेज प्रताप का पार्टी से नाता टूट गया है। मई 2025 में एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उन्हें आरजेडी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव ने पारिवारिक स्तर पर भी उनसे दूरी बना ली है। तेज प्रताप ने अब 'टीम तेज प्रताप' के बैनर तले अपनी अलग राजनीतिक यात्रा शुरू कर दी है। उन्होंने महुआ में एक रोड शो के दौरान जनता से सीधे संपर्क साधा और बताया कि वे जनता की सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं।
तेज प्रताप ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव के बाद 'चाचा नीतीश' दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। उनका कहना था कि नीतीश कुमार ने महुआ की जनता को कुछ नहीं दिया और अब वक्त है बदलाव का। तेज प्रताप ने यह भी कहा कि उन्होंने जनता से जो वादे किए थे, उन्हें निभाया, और अब फिर से जनता उन्हें मौका देगी।
उनके इस ऐलान ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। महुआ सीट अब एक बार फिर से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो गई है। तेज प्रताप की स्वतंत्र राजनीतिक दिशा और उनकी जनता से सीधी अपील उन्हें एक अलग पहचान दे सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में आरजेडी और तेजस्वी यादव इस चुनौती का जवाब किस तरह से देते हैं। तेज प्रताप की यह जिद, आत्मविश्वास और रणनीति बताती है कि वे अब किसी के मोहताज नहीं रहना चाहते, बल्कि अपनी सियासत खुद गढ़ना चाहते हैं।
