वशीकरण — यह शब्द सुनते ही मन में तरह-तरह की छवियाँ उभरने लगती हैं। किसी को अपने वश में करना, किसी की इच्छा को नियंत्रित करना, और किसी के मन-मस्तिष्क पर प्रभाव डालना — यही वशीकरण का मूल अर्थ है। लेकिन क्या वाकई यह संभव है? क्या यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, तांत्रिक विद्या है, या फिर केवल मनोवैज्ञानिक खेल?
भारतीय तंत्र शास्त्र में वशीकरण एक विशेष स्थान रखता है। यह एक प्रकार की तांत्रिक क्रिया मानी जाती है, जिसमें मंत्र, यंत्र और विशेष जड़ी-बूटियों की सहायता से किसी व्यक्ति को अपने वश में किया जाता है। मान्यता है कि यह विद्या प्राचीन ऋषियों और तांत्रिकों द्वारा विकसित की गई थी, जो अत्यंत जटिल और गुप्त होती थी। पुराने ग्रंथों जैसे “अथर्ववेद” और “कौमार तंत्र” में वशीकरण के कई मंत्रों और प्रयोगों का उल्लेख मिलता है।
वशीकरण को सामान्यतः दो भागों में बाँटा जाता है —
शुभ वशीकरण: इसका उपयोग किसी को प्रेम, स्नेह, या पारिवारिक सौहार्द बढ़ाने के लिए किया जाता है। उदाहरणस्वरूप, पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ाना, या घर में सौहार्द कायम करना।
अशुभ वशीकरण: यह वह पक्ष है जो डरावना और खतरनाक माना जाता है — जहाँ किसी को जबरन अपने नियंत्रण में लाने, उसकी सोच बदलने या उसका अहित करने की मंशा होती है। यही पक्ष वशीकरण को विवादास्पद बनाता है।
समस्या यह है कि आज के दौर में वशीकरण एक धंधा बन गया है। बाज़ार में आपको हर गली-चौराहे पर “पंडित जी” या “तांत्रिक बाबा” के पोस्टर मिल जाएंगे, जो एक फोन कॉल में "मनचाहा प्यार" दिलाने और "शत्रु को समाप्त" करने की गारंटी देते हैं। यह अंधविश्वास फैलाने का सबसे खतरनाक तरीका है। लोग अपने दुख, असफल प्रेम, नौकरी में रुकावट, या पारिवारिक कलह से परेशान होकर इन बाबाओं की ओर भागते हैं, और हजारों–लाखों रुपये गँवा देते हैं।
अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो वशीकरण की कोई पुष्टि नहीं है। न तो कोई वैज्ञानिक प्रमाण है कि कोई मंत्र किसी व्यक्ति की सोच बदल सकता है, और न ही कोई यंत्र किसी के मन को नियंत्रित कर सकता है। हाँ, मनोविज्ञान यह जरूर मानता है कि कुछ लोग अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व, संवाद शैली, और आत्मविश्वास से दूसरों को आकर्षित कर सकते हैं — लेकिन यह किसी तांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है, बल्कि अभ्यास और आत्मविकास का परिणाम है।
दुर्भाग्यवश, वशीकरण को लेकर समाज में कई बार अपराध भी हो चुके हैं। जहरीली वस्तुओं को ‘तावीज़’ बनाकर पिलाना, मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को धमकाना या भ्रमित करना, और यहाँ तक कि आत्महत्या के लिए उकसाना — ये सब तथाकथित वशीकरण के नाम पर हो चुका है। ऐसे मामलों में कानून भी सख्त है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग अब भी फँसते रहते हैं।
यह भी महत्वपूर्ण है कि तंत्र शास्त्र की हर बात को अंधविश्वास ना माना जाए। भारत का तांत्रिक ज्ञान अत्यंत गहरा और प्रतीकात्मक है। इसमें ध्यान, ऊर्जा संतुलन, और ध्यानात्मक चेतना जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं। परंतु वशीकरण को ले कर जो आज की बाजारू व्याख्या है, वह केवल अंधविश्वास और धोखाधड़ी है।
