बिहार में कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए चौथा कृषि रोड मैप में जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत राज्य भर में वर्ष 2028 तक कुल 7976 जल संचयन तालाब बनाए जाएंगे। इन तालाबों का उद्देश्य केवल पानी इकट्ठा करना ही नहीं है, बल्कि इसे खेती, बागवानी और अन्य सिंचाई कार्यों के लिए उपयोग में लाना है।
बिहार के कई जिलों में मानसून के अनियमित होने और भूजल स्तर में गिरावट के कारण किसानों को सिंचाई में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जल संचयन तालाब कृषि के लिए जीवनरेखा साबित होगा। इन तालाबों में बरसाती पानी को संरक्षित किया जाएगा, ताकि किसानों को साल भर सिंचाई का पानी मिल सके और फसल उत्पादन में वृद्धि हो।
चौथा कृषि रोड मैप में तालाब निर्माण के लिए वर्षवार लक्ष्य तय किया गया है। 2023-24 में 1866 तालाब बनाने का लक्ष्य था, जिनमें से 649 का निर्माण हो चुका है। 2024-25 में 1701 तालाब का लक्ष्य रखा गया, जिनमें से अब तक 279 पूरा हो चुका है। 2025-26 से 2027-28 तक में शेष तालाबों का निर्माण किया जाएगा, ताकि 2028 तक 7976 तालाब का लक्ष्य पूरा हो सके। यह योजना न केवल तालाब बनाने तक सीमित है, बल्कि उनकी सही देखरेख और उपयोग को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
रोड मैप में 58 नए सामुदायिक तालाबों का निर्माण और 56 सामुदायिक तालाबों के जीर्णोद्धार का प्रावधान है। सामुदायिक तालाब गांव के सभी किसानों के लिए एक साझा संसाधन होगा, जिससे सामूहिक सिंचाई व्यवस्था मजबूत होगी। वहीं, पुराने तालाबों की मरम्मत से उनकी जल संग्रहण क्षमता बढ़ेगी और उनका पुनः उपयोग संभव होगा।
जल संचयन तालाबों के निर्माण से सिंचाई के साधनों में विविधता आएगी। जिन क्षेत्रों में नहर या ट्यूबवेल से सिंचाई कठिन है, वहां ये तालाब अहम भूमिका निभाएंगे। इससे धान, गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जियों जैसी फसलों का उत्पादन बढ़ेगा। इसके अलावा, तालाबों से मछली पालन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा।
तालाब वर्षा जल को संरक्षित करके भूजल स्तर को recharge करने में मदद करेगा। यह न केवल किसानों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि गांवों के पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखेगा। लंबे समय में इससे जल संकट कम होगा और हरित आवरण भी बढ़ेगा।
चौथा कृषि रोड मैप के तहत जल संचयन तालाबों का निर्माण बिहार के कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह न केवल फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि किसानों की आय दोगुनी करने, पर्यावरण संरक्षण और जल संकट समाधान की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा। यदि योजना समय पर और गुणवत्तापूर्वक पूरी हुई, तो आने वाले वर्षों में बिहार जल प्रबंधन का एक आदर्श मॉडल बन सकता है।
