बेंगलूरु में शिक्षा और राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। कर्नाटक विधानसभा ने मंगलवार को एक अहम विधेयक पारित करते हुए बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर ‘डॉ. मनमोहन सिंह बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी’ करने का निर्णय लिया है। इस फैसले ने राज्य की राजनीति और शैक्षणिक जगत में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक कुशल राजनेता रहे हैं, बल्कि अर्थशास्त्र और शिक्षा जगत में उनका योगदान अनुपम रहा है। उन्हें एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। 1991 के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में डॉ. सिंह ने भारत को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के मार्ग पर अग्रसर किया।
डॉ. सिंह का जीवन शिक्षा से गहराई से जुड़ा रहा है। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले मनमोहन सिंह की विद्वता का लोहा पूरा विश्व मानता है। ऐसे में किसी विश्वविद्यालय का उनके नाम पर होना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
इस प्रस्ताव पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। उनका कहना था कि पहले से स्थापित और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय का नाम बदलना परंपरा और पहचान से छेड़छाड़ है। विपक्ष का तर्क था कि विश्वविद्यालय को नए नाम से जोड़ने से छात्रों और शोधार्थियों को पहचान की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि क्या किसी विश्वविद्यालय को राजनीतिक कारणों से नाम बदलकर सम्मान देना उचित है, जबकि एक नए संस्थान को मनमोहन सिंह के नाम पर स्थापित किया जा सकता था।
वहीं, सत्ता पक्ष का मानना है कि डॉ. मनमोहन सिंह जैसा विद्वान और दूरदर्शी नेता इस सम्मान के हकदार हैं। उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री के रूप में बल्कि एक शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री के रूप में भी देश को दिशा दी। सरकार का कहना है कि विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम से जोड़ना युवाओं को उनकी विचारधारा और उपलब्धियों से प्रेरित करेगा।
भारत में संस्थानों और विश्वविद्यालयों का नामकरण अक्सर महान नेताओं और विद्वानों के नाम पर किया जाता रहा है। यह परंपरा कभी महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे महानायकों से जुड़ी है। अब इसी कड़ी में डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भी शामिल हो गया है।
बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर ‘डॉ. मनमोहन सिंह बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी’ करना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि शिक्षा और राजनीति दोनों का संगम है। यह कदम विद्यार्थियों को एक ऐसे नेता का याद दिलाएगा, जिन्होंने भारत को वैश्विक स्तर पर आर्थिक मजबूती दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
