ब्रह्मांड का सबसे विशाल “ब्लैक होल” और घोड़े की नाल जैसी अद्भुत “गैलेक्सी"

Jitendra Kumar Sinha
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ब्रह्मांड सदियों से मानव जिज्ञासा का सबसे बड़ा मंच रहा है। जब-जब विज्ञान ने अपनी दूरबीनों और यंत्रों को आसमान की ओर मोड़ा, तब-तब अनगिनत रहस्य उद्घाटित हुए। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा खोज किया है जो न केवल खगोल विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाता है, बल्कि कल्पनाओं को भी झकझोर देता है। यह खोज है कॉस्मिक हॉर्सशू नामक गैलेक्सी में स्थित एक ऐसा “अल्ट्रामासिव ब्लैक होल”, जिसका आकार और द्रव्यमान कल्पना से परे है।

इस “ब्लैक होल” का द्रव्यमान लगभग 36.3 अरब सूर्य के बराबर है। यदि सूर्य एक सामान्य मापदंड है, तो इतने बड़े पैमाने पर ब्लैक होल का अस्तित्व ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण की चरम सीमा को दर्शाता है और यह सब कुछ घोड़े की नाल जैसी दिखने वाली गैलेक्सी के अंदर छिपा है, जिसे कॉस्मिक हॉर्सशू नाम मिला है।

कॉस्मिक हॉर्सशू गैलेक्सी का नामकरण इसके अद्वितीय आकार के कारण किया गया। जब दूर की रोशनी एक विशाल गैलेक्सी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से गुजरती है, तो वह गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग (Gravitational Lensing) नामक प्रक्रिया से मुड़ जाती है। इस प्रक्रिया में प्रकाश का रास्ता विकृत होकर आर्क या वक्राकार आकार में बदल जाता है। कॉस्मिक हॉर्सशू के मामले में, यह वक्र इतना पूर्ण और सुंदर है कि दूर से देखने पर यह घोड़े की नाल (Horseshoe) जैसा प्रतीत होता है। गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग केवल एक दृष्टिगत भ्रम नहीं है, बल्कि यह खगोलविदों के लिए दूर स्थित वस्तुओं के अध्ययन का एक शक्तिशाली उपकरण भी है।

वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इस गैलेक्सी के केंद्र में स्थित “ब्लैक होल” का द्रव्यमान 36.3 अरब सूर्य के बराबर है, और इसमें लगभग 6 अरब सौर द्रव्यमान की त्रुटि सीमा है। यह खोज इसे न केवल अब तक ज्ञात टॉप 10 सबसे विशाल “ब्लैक होल” के सूची में लाता है, बल्कि संभवतः इसे सबसे बड़ा भी बना सकता है। इसकी दूरी पृथ्वी से लगभग 5 अरब प्रकाश वर्ष है, यानि आज जो रोशनी देख रहे हैं, वह वास्तव में 5 अरब साल पुराना है।

सामान्य “ब्लैक होल” आमतौर पर कुछ सूर्य द्रव्यमान से लेकर कुछ अरब सूर्य द्रव्यमान तक होता है, लेकिन “अल्ट्रामासिव ब्लैक होल” 10 अरब से ऊपर के पैमाने पर पहुंचता है। यह इतना विशाल होता है कि इसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में पूरा-का-पूरा तारामंडल समा सकता है। इसका निर्माण अक्सर कई बड़े ब्लैक होल के आपस में विलय से होता है, जो आकाशगंगा टकराव के दौरान संभव है।

आमतौर पर जब ब्लैक होल अपने आस-पास के गैस और धूल को खींचता है, तो वह एक एक्रिशन डिस्क (Accretion Disk) बनाता है और प्रबल विकिरण उत्सर्जित करता है। लेकिन कॉस्मिक हॉर्सशू का यह ब्लैक होल ‘शांत’ है। इसका अर्थ है कि फिलहाल यह अपने आस-पास के पदार्थ को निगलने या विकिरण छोड़ने की प्रक्रिया में नहीं है। यह अवस्था ब्लैक होल के जीवनचक्र में ‘विश्राम’ चरण जैसा माना जाता है।

प्रोफेसर थॉमस कॉलट के अनुसार, कॉस्मिक हॉर्सशू एक फॉसिल ग्रुप गैलेक्सी है। इसका मतलब है कि यह गैलेक्सी अपने विकास के अंतिम चरण में है। संभवतः आसपास की कई अन्य गैलेक्सियां समय के साथ इसमें समा गईं, और उनके ब्लैक होल भी आपस में विलय होकर इस “अल्ट्रामासिव ब्लैक होल” का निर्माण हुआ।

कॉस्मिक हॉर्सशू की खोज में गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग ने अहम भूमिका निभाई। आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार, द्रव्यमान प्रकाश के मार्ग को मोड़ सकता है। जब किसी विशाल वस्तु (जैसे गैलेक्सी) के पीछे से आने वाली रोशनी उसके गुरुत्वाकर्षण से गुजरती है, तो वह मुड़कर एक वृत्ताकार या आर्क जैसी आकृति बना देता है। इस प्रभाव का उपयोग दूर स्थित ब्रह्मांडीय वस्तुओं के अध्ययन में किया जाता है, जिसका सीधा अवलोकन कठिन होता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि इतने बड़े ब्लैक होल बनने के पीछे दो प्रमुख कारण हो सकते हैं। गैलेक्सी विलय-  कई विशाल गैलेक्सियों के टकराव और उसके केंद्रीय ब्लैक होल के विलय से यह आकार प्राप्त हुआ। प्राचीन निर्माण- यह ब्लैक होल संभवतः ब्रह्मांड के शुरुआती समय में ही तेज गति से बढ़ा और अरबों साल में इतना विशाल हो गया।

इस खोज ने ब्लैक होल और गैलेक्सी निर्माण के बारे में मौजूदा समझ को चुनौती दी है। यदि इतने बड़े ब्लैक होल मौजूद हो सकता है, तो ब्रह्मांड में और भी अदृश्य दानव छिपा हो सकता है। इससे गैलेक्सी निर्माण के इतिहास, ब्लैक होल वृद्धि की गति और डार्क मैटर की भूमिका के बारे में नए प्रश्न पूछने का अवसर मिलता है। 

हबल स्पेस टेलीस्कोप और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जैसी उन्नत दूरबीनों के कारण। हाई-रेजोल्यूशन इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों से, जो इतनी दूर स्थित गैलेक्सियों की संरचना और गति का अध्ययन संभव बनाता है।

भविष्य में, यदि यह “ब्लैक होल” सक्रिय हुआ, तो यह गैलेक्सी के केंद्र से अत्यधिक विकिरण और शक्तिशाली जेट्स उत्सर्जित कर सकता है, जिससे आसपास के तारों और ग्रहों की संरचना बदल सकत है। यह गैलेक्सी के विकास की दिशा भी बदल सकता है। वैज्ञानिक इस पर लगातार नजर रखेंगे ताकि किसी भी गतिविधि को समय पर दर्ज किया जा सके।



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