पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शेहबाज़ शरीफ़ ने ताज़ा ऐलान किया कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty, IWT) का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान को जल प्रवाह रोकने या रोक-टोक करने की कोशिश की, तो यह एक "अत्यंत गंभीर उल्लंघन" माना जाएगा और पाकिस्तान "दृढ़ प्रतिक्रिया" देगा—“एक बूंद भी पानी की किसी के हाथ न लगे” यह उनकी धमकी थी, और उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा करता है, तो “ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसे आप नहीं भूल पाएंगे।” उन्होंने जल को पाकिस्तान की जीवनरेखा बताया और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के तहत उसके अधिकारों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनिर ने पहले ही परमाणु धमकी दी थी—“अगर हम समझें कि हम जा रहे हैं, तो हम दुनिया के आधे हिस्से को भी साथ ले जाएंगे।”
भारत ने, अप्रैल 2025 के पठाल्गम आतंकी हमले के तुरंत बाद, इस 1960 की संधि को "अस्थायी रूप से निलंबित" कर दिया था—शर्त यह है कि पाकिस्तान को सीमा पार से आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह रोकना होगा।
लेकिन जिसका किसी को अंदाज़ा नहीं था, वह यह कि पाकिस्तान ने तुरंत PCA (Permanent Court of Arbitration) में भारत के जल प्रोजेक्ट्स के डिजाइन के खिलाफ फैसला आने पर इसका स्वागत किया—उनका कहना, यह निर्णय उनके पक्ष में गया है। हालांकि, भारत ने PCA की कानूनी कार्यक्षमता को स्वीकार नहीं किया।
इतिहास में अब तक यह संधि सबसे विश्वसनीय जल-साझा समझौता रही है, भारत को पूर्वी नदियों (Beas, Ravi, Sutlej) में 20%, पाकिस्तान को पश्चिमी (Indus, Jhelum, Chenab) में 80% पानी मिलता रहा है, और यह 1960 में वर्ल्ड बैंक ने मध्यस्थता करवा कर बनाई थी लेकिन अब चारों ओर दो परमाणु शक्तियाँ, आतंकवाद, और जल राजनीतिकरण—तीन बड़ी खटास का मिक्स—जिसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है।
