अब बिना सिबिल स्कोर का भी मिलेगा लोन - ग्राहक का बैकग्राउंड और पेमेंट हिस्ट्री बनेगी आधार

Jitendra Kumar Sinha
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पहली बार बैंक से लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। अब लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर (CIBIL Score) अनिवार्य नहीं होगा। केन्द्र सरकार ने लोकसभा में साफ किया है कि बैंक सिबिल स्कोर के आधार पर लोन देने से मना नहीं कर सकते। यानि अगर ग्राहक के पास क्रेडिट हिस्ट्री या सिबिल स्कोर नहीं है, तब भी बैंक उसका आवेदन खारिज नहीं कर पायेगा।

भारत में लाखों लोग ऐसे हैं जिन्होंने कभी लोन नहीं लिया या किसी क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं किया। ऐसे लोग जब पहली बार लोन लेने के लिए बैंक पहुंचते हैं, तो उनका कोई सिबिल स्कोर उपलब्ध नहीं होता। बैंक अक्सर इसी आधार पर लोन आवेदन को खारिज कर देते थे। इस समस्या को देखते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मानसून सत्र के दौरान संसद में स्पष्ट किया कि बिना सिबिल स्कोर के भी ग्राहक को लोन देने से मना नहीं किया जा सकता है।

आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंक को अब ग्राहक का केवल सिबिल स्कोर नहीं, बल्कि उसकी बैकग्राउंड डिटेल्स और पेमेंट हिस्ट्री भी देखनी होगी। इसमें शामिल होगा, ग्राहक की नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी जानकारी, पिछले वित्तीय लेन-देन और भुगतान की आदत, बैंक खाते में आने-जाने वाली रकम का रिकॉर्ड, ग्राहक की समग्र वित्तीय स्थिति। इस आधार पर बैंक तय करेगा कि ग्राहक को लोन दिया जा सकता है या नहीं।

यह नियम खासतौर पर युवाओं, छोटे व्यवसायियों और ग्रामीण इलाकों के उन ग्राहकों के लिए राहतभरा है, जो कभी बैंकिंग लोन प्रणाली से जुड़े ही नहीं थे। अब उनके पास भी लोन लेने का रास्ता खुल गया है। उदाहरण के लिए नौकरीपेशा युवा जो पहली बार पर्सनल लोन लेना चाहते हैं। छोटे दुकानदार जो अपना कारोबार बढ़ाने के लिए बिजनेस लोन लेना चाहते हैं। ग्रामीण ग्राहक जिन्हें घर या खेती के लिए लोन चाहिए।

आरबीआई ने यह भी साफ किया है कि अगर किसी ग्राहक का सिबिल स्कोर कम है, तो सिर्फ उसी आधार पर लोन आवेदन खारिज नहीं किया जा सकता। बैंक को अन्य वित्तीय पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा।

सरकार और आरबीआई का यह फैसला बैंकिंग सिस्टम को अधिक समावेशी (Inclusive) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब जो ग्राहक बैंकिंग दायरे में नहीं थे, वे भी लोन लेने की प्रक्रिया में शामिल हो पाएंगे। इससे न केवल व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को फायदा मिलेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी नकदी प्रवाह और वित्तीय गतिविधियों को मजबूती मिलेगी।



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