केन्द्र सरकार ने पेंशन व्यवस्था को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसका सीधा लाभ लाखों सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला है। हाल ही में जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) के दायरे में आने वाले कर्मचारी अब नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में जाने का विकल्प चुन सकेंगे। सरकार का यह कदम पेंशन प्रणाली में पारदर्शिता और स्थायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा सरकार ने पहले की थी, जिसमें कर्मचारियों को निश्चित पेंशन देने का प्रावधान रखा गया था। हालांकि, यह प्रणाली कुछ हद तक पुराने पेंशन ढांचे जैसी दिखती थी और वित्तीय बोझ को लेकर सवाल उठ रहे थे।
वहीं, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) पूरी तरह योगदान आधारित योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता (सरकार) दोनों का अंशदान होता है। एनपीएस में निवेश किए गए पैसे को बाज़ार से जोड़ दिया जाता है, जिससे दीर्घकाल में बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है।
केन्द्र सरकार ने 25 अगस्त 2025 को अधिसूचना जारी कर कहा है कि यूपीएस में शामिल कर्मचारी 30 सितंबर 2025 तक एनपीएस में स्विच कर सकते हैं। यह अवसर केवल एक बार के लिए उपलब्ध कराया गया है। यानि, तय समय सीमा तक विकल्प नहीं चुनने पर कर्मचारी को अनिवार्य रूप से यूपीएस में ही बने रहना होगा।
इस निर्णय के बाद कर्मचारियों के पास स्पष्ट विकल्प होगा कि वे सुनिश्चित पेंशन वाली यूनिफाइड स्कीम में बने रहें या बाजार-आधारित और योगदान आधारित नेशनल पेंशन सिस्टम को चुनें।
कर्मचारी अपनी जरूरत और भविष्य की प्राथमिकताओं के हिसाब से पेंशन व्यवस्था चुन सकेंगे। लंबी अवधि में एनपीएस बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखता है। एनपीएस में टैक्स छूट और आंशिक निकासी जैसी सुविधाएं भी हैं, जो यूपीएस में उपलब्ध नहीं हैं। यह कदम वित्तीय अनुशासन और पेंशन प्रणाली की स्थिरता को भी सुनिश्चित करेगा।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह फैसला कर्मचारियों को स्वतंत्रता और विकल्प देगा। इससे उन कर्मियों को भी लाभ होगा जो बाजार से जुड़े दीर्घकालिक निवेश के पक्षधर हैं। वहीं, जिन कर्मियों को स्थायी और निश्चित पेंशन की सुरक्षा चाहिए, वे यूपीएस को चुन सकते हैं।
केन्द्र सरकार का यह निर्णय लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन का भविष्य तय करने वाला अवसर है। एक ओर यूनिफाइड पेंशन स्कीम है, जो निश्चित लाभ का भरोसा देती है, वहीं दूसरी ओर नेशनल पेंशन सिस्टम है, जो लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न और लचीलापन प्रदान करता है।
अब यह कर्मचारियों पर निर्भर है कि वे किस विकल्प को चुनते हैं। लेकिन इतना तय है कि सरकार का यह कदम कर्मचारियों के लिए आर्थिक स्वतंत्रता और विकल्प की आजादी लेकर आया है।
