प्राचीन मिस्र की सभ्यता आज भी अपनी भव्य इमारतों, रहस्यमयी पिरामिडों और अद्भुत मंदिरों के लिए जानी जाती है। इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है “हत्शेपसुत का शवगृह मंदिर (Mortuary Temple of Hatshepsut)”, जो मिस्र की प्रख्यात महिला फराओ की शक्ति, महत्वाकांक्षा और दूरदर्शिता का जीता-जागता प्रतीक है। यह मंदिर न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है बल्कि मिस्र के गौरवशाली अतीत को भी उजागर करता है।
हत्शेपसुत मिस्र के 18वें राजवंश की पांचवीं फराओ थीं। उन्होंने लगभग 1479 ईसा पूर्व से 1458 ईसा पूर्व तक शासन किया। प्राचीन मिस्र में स्त्रियों का फराओ बनना विरल था, किंतु हत्शेपसुत ने इस परंपरा को तोड़ते हुए पुरुषों की भांति शासन संभाला। उन्होंने खुद को फराओ सिद्ध करने के लिए पुरुष परिधान और नकली दाढ़ी भी धारण की। उनके शासनकाल में मिस्र ने राजनीतिक स्थिरता, व्यापारिक समृद्धि और सांस्कृतिक उन्नति देखी।
हत्शेपसुत का शवगृह मंदिर लक्सर (Luxor) के पास देइर अल-बहारी क्षेत्र में स्थित है। नील नदी के पश्चिमी किनारे पर बलुआ पत्थर की विशाल चट्टानों को काटकर इसे तराशा गया है। इस मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता इसका स्तरीय (Terraced) ढांचा है। यह तीन विशाल प्लेटफार्मों पर आधारित है, जिन्हें लंबे-लंबे रैंप और स्तंभों से जोड़ा गया है।
चट्टानों में तराशी गई इसकी पृष्ठभूमि इसे प्राकृतिक और वास्तुशिल्पीय समन्वय का अद्वितीय रूप देती है। मंदिर में कई प्रांगण, स्तंभों से सुसज्जित हॉल और देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
यह मंदिर मुख्य रूप से सूर्य देव अमुन-रा (Amun-Ra) को समर्पित था। इसके अलावा हत्शेपसुत ने यहां अपने जीवन, शासन और दैवीय उत्पत्ति से जुड़े कई चित्रलिपियों और भित्तिचित्रों को अंकित कराया। मंदिर की दीवारों पर पुंट देश (Punt Land) के साथ किए गए उनके प्रसिद्ध व्यापारिक अभियानों के दृश्य भी अंकित हैं। इन चित्रों से पता चलता है कि हत्शेपसुत ने व्यापारिक मार्गों को पुनर्जीवित कर मिस्र की समृद्धि में बड़ा योगदान दिया।
हत्शेपसुत की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी थुतमोस III ने उनकी स्मृति मिटाने का प्रयास किया। उनके चित्र, मूर्तियां और नाम मंदिरों से हटाए गए ताकि इतिहास से उनका नाम समाप्त हो जाए। किंतु समय की धूल में दबी यह विरासत 19वीं सदी में पुरातत्वविदों द्वारा पुनः खोजी गई और आज यह मिस्र की शान बन चुकी है।
हत्शेपसुत का शवगृह मंदिर मिस्र की स्थापत्य कला, महिला नेतृत्व और सांस्कृतिक गौरव का अनमोल प्रतीक है। यह मंदिर सिखाता है कि इतिहास मिटाने की कोशिश चाहे कितनी भी क्यों न की जाए, सच्ची विरासत और उपलब्धियां अमर हो जाती हैं। आज यह मंदिर न केवल मिस्र की पहचान है बल्कि पूरी मानव सभ्यता के लिए एक गौरवशाली धरोहर है।
